नाहन (एमबीएम न्यूज): चुनावी साल में सिरमौर को एक ओर नीली बत्ती मिल गई है। इस बार सिख बिरादरी का नंबर आया है। हिमाचल प्रदेश अल्पसंख्यक वित्तीय एवं विकास निगम ने पांवटा साहिब के तपेंद्र सिंह को उपाध्यक्ष की कुर्सी सौंपी है। यानि सिख कांग्रेसी नेता का रुतबा बढ़ा दिया गया है।
हालांकि ताजपोशी की अधिसूचना 24 मार्च को ही जारी हो गई थी, लेकिन यह बात आज उस वक्त खुलकर सामने आई, जब पद ग्रहण करने के बाद तपेंद्र सिंह पांवटा साहिब पहुंचे। कांग्रेसी नेता रहे स्व. हरदयाल सिंह के बेटे सरदार तपेंद्र सिंह को लाल बत्ती सौंप कर पांवटा हलके में कांग्रेस को क्या चुनावी फायदा मिलेगा, यह तो वक्त ही बताएगा। अलबत्ता यह तय है कि इस बिरादरी से कांग्रेस की पकड़ ढीली हो रही थी। निगम में पहले भी तपेंद्र सिंह नॉन ऑफिशियल निदेशक थे, जहां से उनकी प्रमोशन हो गई है।
इसमें कोई दोराय नहीं है कि सरदार तपेंद्र सिंह बेदाग छवि के नेता हैं। साथ ही मृदुभाषी भी हैं। निगम के निदेशक मंडल में सामाजिक व सहकारिता मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल चेयरमैन हैं। मंडल में प्रबंध निदेशक समेत कुल 11 निदेशक हैं। अब देखना यह भी है कि सरकार सरदार तपेंद्र सिंह की प्रमोशन के बाद निगम में किसे नॉन ऑफिशियल निदेशक बनाती है। या फिर इसे वाइस चेयरमैन के पद से बदल दिया गया है।
सिरमौर की बढ़ी गिनती
इस वक्त सिरमौर में 6 नेताओं को अहम ओहदे मिले हैं। पच्छाद से कांग्रेसी नेता गंगूराम मुसाफिर योजना बोर्ड के अध्यक्ष हैं, जो दलित बिरादरी का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। हिमाचल प्रदेश निर्माता की पुत्रवधू सत्या परमार को समाज कल्याण बोर्ड की चेयरपर्सन काफी पहले ही बना दिया गया था। राजघराने से संबंधित व पूर्व विधायक कंवर अजय बहादुर सिंह को एक अरसा पहले हिमफैड की कमान सौंपी गई थी।
शिलाई से पूर्व विधायक हर्षवर्धन चौहान को हालांकि कुछ इंतजार करना पड़ा था, लेकिन बाद में सरकार ने चौहान को निराश न करते हृुए रोजगार व सृजन बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया था। ट्रांसगिरि से संबंधित व पेशे से पत्रकार रहे केएस तोमर को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष पद की कुर्सी भी मौजूदा सरकार ने ही दी थी।
इन सबके अलावा यह भी गौर करने वाली बात है कि रेणुका विधानसभा क्षेत्र से पहली बार विधायक बने विनय कुमार को पहले ही झटके में मुख्य संसदीय सचिव की कुर्सी दी गई। महकमा भी लोक निर्माण विभाग सौंपा गया।
सरदार रतन सिंह के बाद..
कांग्रेस में स्व. सरदार रतन सिंह एक कद्दावर नेता रहे। केंद्र में एनडीए की सरकार के दौरान एक मर्तबा डॉ. मनमोहन सिंह भी उनके चुनाव प्रचार में पांवटा आए थे। सरदार रतन सिंह के बेटे हरप्रीत सिंह को राजनीति में कोई खास एंट्री नहीं मिल पाई। हालांकि अनिंद्र सिंह नौटी भी जोर लगा रहे हैं। समझा यह भी जा रहा है कि कांग्रेस अगर मौजूदा विधायक किरनेश जंग पर ही दांव खेलती है तो सिख बिरादरी को तपेंद्र सिंह की ताजपोशी से जोड़ा जाए।