शिमला (एमबीएम न्यूज) : एक्सपायरी परमिट पर 650 अंग्रेजी शराब की पेटियों की तस्करी हो रही थी। इसका तरीका जानकर हैरान हो जाएंगे। शराब की ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक सप्ताह का परमिट बनता है। 7 से 14 मार्च का परमिट बनाया गया। चालाकी से 14 मार्च को 19 मार्च बना दिया गया। लेकिन 7 मार्च को 12 मार्च नहीं किया गया, ताकि पड़ताल के दौरान यह लगे कि परमिट 19 मार्च तक वैध है।
चूक यह भी थी कि परमिट देखने पर ही अमान्य लग रहा था। दूसरा शक यह था कि एक सप्ताह के लिए बनने वाला परमिट 12 दिन के लिए कैसे बना है। ठियोग से रोहडू के लिए चले इस ट्रक को जब कोटखाई पुलिस ने रोका तो पर्दाफाश हो गया। पुलिस ने परमिट की टेम्परिंग को पकडऩे में देरी नहीं लगाई। ट्रक में अंग्रेजी ब्रांड की अलग-अलग किस्मों की दारू भरी हुई थी। हालांकि इसकी कीमत का आंकलन नहीं हुआ है, लेकिन मोटे तौर पर बरामद शराब की कीमत 25 से 30 लाख के बीच हो सकती है।
स्वाभाविक सी बात है पुलिस की इस ऐतिहासिक कार्रवाई से शराब माफिया के हाथ-पांव भी फूल गए होंगे। पुलिस को अब यह भी शक है कि इस तरीके का इस्तेमाल पहले भी किया गया होगा। इस तरह से शराब की तस्करी से सरकारी खजाने को भी मोटा चूना लगता है। बुधवार रात को पुलिस रोहडू मार्ग पर छोल में नाका लगाकर वाहनों की जांच कर रही थी। तब इस हैरजअंगेज मामले का खुलासा हुआ।
ठियोग के डीएसपी मनोज जोशी ने कहा कि मामला बेहद संवेदनशील है। आबकारी व कराधान विभाग के आलाधिकारियों से संपर्क साधा गया है। उन्होंने कहा कि कीमत को लेकर भी आंकलन किया जा रहा है। डीएसपी के मुताबिक इस मामले में ट्रक मालिक व जिस व्यक्ति के नाम पर ट्रक है, उन्हें भी तफ्तीश में शामिल किया जाएगा। मतलब राजेंद्र सिंह व राहुल नेगी को भी अवैध तस्करी के इस बड़े मामले में जवाब देना होगा।