शिमला (शैलेंद्र कालरा): तकरीबन 14 साल की जुड़वां बहनों की बंधुआ मजदूरी की दर्दनाक दास्तां सामने आने लगी है। इस सनसनीखेज मामले का भांडाफोड़ उमंग फाउंडेशन ने मंगलवार को किया था।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने बुधवार को जब अपडेट को लेकर मामले की पड़ताल की तो दोनों बहनों के सदमे में होने की बात सामने आई। इतना जरूर पता चला कि पांवटा साहिब के उस परिवार का पता लगा लिया गया है, जिसने इन मासूम बेटियों को दर्द की ऐसी पीड़ा दी, जो शायद उन्हें ताउम्र नहीं भूल पाएगी। एक बेटी तो खड़े होने की स्थिति में भी नहीं है।
करीब 11 महीने तक पांवटा के एक व्यापारी के घर पर जुड़वां बहनों को बंधुआ मजदूर बनाकर रखा गया। मेहनताना देना तो दूर, बच्चियों की जमकर पिटाई भी की जाती रही। बेटियों का पिता बद्री आज इस मामले में पुलिस को शिकायत भेजने का प्रयास कर रहा था, लेकिन बेटियों की हालत ठीक न होने की वजह से कदम नहीं उठा सका। पीडि़त परिवार शिमला के ही कुपवी का रहने वाला है।
रोहनाट के एक दुकानदार की मार्फत जुड़वां बेटियों को एक व्यापारी परिवार के सुपुर्द कर दिया गया था। मार्च 2016 से मासूम बेटियां व्यापारी के घर में कैद होकर रह गई थी। गनीमत है कि उमंग फाउंडेशन के संज्ञान में मामला आ गया। अब शायद न्याय के साथ-साथ बच्चियों को नया जीवन मिल जाएगा। बुधवार को आईजीएमसी के चिकित्सकों ने सदमे को झेल रही बच्चियों से ज्यादा बात न करने की सलाह दी।
उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि बच्चियां सदमे में हैं। उन्होंने बताया कि पांवटा साहिब से पहले इन बहनों को देहरादून ले जाया गया था। चूंकि परिवार आईजीएमसी में कैंटीन कर्मचारी का रिश्तेदार है, लिहाजा यहां तक पहुंच गया। उन्होंने कहा कि बंधुआ मजदूरी का मामला दर्ज करवाया जाएगा।
कैसे शुरू हुआ घटनाक्रम..
बात करीब 11 महीने पहले शुरू होती है। गरीब पिता बद्री रोहनाट में एक दुकानदार के कहने पर बच्चियों को पांवटा के परिवार के हवाले कर देता है। 15-16 फरवरी का खौफनाक दिन था। आधी रात को मालकिन लौटती है। इस पर एक बच्ची को टांगे दबाने को कहती है। आधी रात हो चुकी थी, लिहाजा बेटी को नींद आ रही थी। गुस्से में आकर मैडम ने मासूम बच्ची के पेट में लात मार दी।
जैसे-तैसे बच्चियों के पिता को पता चला तो गरीब बद्री आईजीएमसी कैंटीन में अपने रिश्तेदार की मदद से बच्चियों को लेकर आईजीएमसी पहुंच गया। पीडि़त परिवार कुपवी के मसरा गांव का रहने वाला है। पिता ने बेटियों के पढऩे का सपना साकार होते देख ही पांवटा के परिवार को उनकी सुपुर्दगी दे दी थी।
इस मामले से जुड़ी खबर।
– पांवटा साहिब में 13 साल की जुड़वां बहनों की बंधुआ मजदूरी का सनसनीखेज मामला। https://goo.gl/YIA6uA