शिमला (एमबीएम न्यूज) : प्रदेश सरकार छोटे व मंझोले किसानों और समाज के गरीब वर्गों, जिन्होंने सरकारी भूमि पर नाजायज कब्ज़े किए है, को राहत दिलाने के उद्देश्य से उच्च न्यायालय के समक्ष अंतरिम नीति प्रस्तुत करेगी। वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रावधानों की भी जांच की जाएगी, ताकि स्थाई हिमाचली वन वासियों को चिन्हित कर उनके अधिकारों को निर्धारित किया जा सके।
राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ों को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ों के विरूद्ध है। लेकिन किसी विवशता के कारण जिन छोटे व मंझोले किसानों ने सरकारी भूमि पर भवनों का निर्माण अथवा कब्ज़े किए हैं, उनको राहत देना चाहती है। मानवीय आधार पर प्रदेश विधानसभा में अवैध कब्ज़ों के नियमितीकरण के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है, परन्तु उच्च न्यायालय ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़े को हटाने के लिए विभिन्न आदेश दिए हैं। प्रदेश सरकार शीघ्र ही उच्च न्यायालय के समक्ष कानून के निर्धारित मापदंडों के आधार पर नीति बनाकर प्रस्तुत करेगी,ताकि प्रदेश के छोटे व मंझोले किसानों व गरीब लोगों को राहत दिलाई जा सके।
कौल सिंह ठाकुर ने 7 फरवरी, 2017 को निर्धारित अगली बैठक तक समिति के सदस्यों को नीति व योजना का प्रारूप प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए। कानून की व्यवस्था बनाए रखने के प्रति प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि बड़े व प्रभावशाली अवैध कब्ज़ाधारकों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा।
उच्च स्तरीय समिति के सदस्य वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह, हि.प्र. विधानसभा के उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर व नंद लाल, विधायक मोहन लाल बराकटा, अतिरिक्त मुख्य सचिव तरूण श्रीधर, प्रधान सचिव आर.डी. धीमान, सचिव मोहन चैहान, कानून सचिव डाॅ. बलदेव सिंह और विभिन्न विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।