नाहन (शैलेंद्र कालरा): इसमें कोई दोराय नहीं होनी चाहिए, हरिपुरधार में डयूटी करने से हरेक विभाग के कर्मचारी कतराते हैं। प्रतिकूल मौसम तो है ही, साथ ही शहरीकरण से कोसों दूर है जगह। अब अगर यह कहा जाए कि यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉ. कृष्णा भटनागर मुस्तैदी से डयूटी कर रहे हैं तो तारीफ बनती है।
बर्फबारी के दौरान हरिपुरधार पीएचसी। इनसैट में डॉ. भटनागर।इन दिनों भी भारी बर्फबारी के कारण इलाका अलग-थलग पड़ा हुआ है। बावजूद इसके डॉ. भटनागर हर रोज तकरीबन आधा किलोमीटर बर्फ में चलकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचते हैं। दीगर है कि अगर किसी कर्मचारी का स्थानांतरण हरिपुरधार के लिए होता है तो वह ज्वाइन करने से पहले ही अपनी अडजस्टमेंट करवा लेता है। विकट परिस्थितियों में डॉ. कृष्णा भटनागर एशो आराम छोडक़र पिछले दो सालों से हरिपुरधार में ही तैनात हैं।
इस स्वास्थ्य केंद्र का फायदा शिमला जिला के कुपवी तहसील के लोगों को भी मिलता है। इस पीएचसी में दो पद स्वीकृत हैं, लेकिन आज तक कोई भी डॉक्टर यहां आने को राजी नहीं हुआ। डॉ. भटनागर दिन में करीब 90 मरीजों को देखते हैं। अब चूंकि दूसरा डॉक्टर तैनात नहीं है, लिहाजा रात को भी मरीजों को देखते हैं। मतलब मरीजों की जान बचाने के लिए 24 घंटे ही एक तरीके से डयूटी पर रहते हैं।
भारी बर्फबारी के बीच डयूटी पर जाते डॉ. भटनागर।खुद क्या कहते हैं..
डॉ. भटनागर का कहना है कि वैसे तो दिन-रात मरीज देखने पड़ते हैं। खाली समय मिलने पर ही कुछ आराम कर लेते हैं। उनका यह भी कहना है किा डॉक्टर का पेशा बेहद जिम्मेदारीपूर्ण होता है। आने वाला हरेक मरीज डॉक्टर को भगवान की नजर से देखता है। उनका कहना है कि दुर्गम क्षेत्र में लोगों की सेवा करना चुनौतीभरा कार्य है। सुविधाएं कम होने के बावजूद कसौटी पर खरा उतरना होता है।
डॉ. भटनागर का कहना है कि लोगों खासकर गरीब मरीजों से दुख दर्द बांटने से उन्हें सुकून मिलता है। मरीज की दुआओं से हर रोज नया जोश पैदा हो जाता है। उनका कहना है कि उत्साह के साथ काम करने में काफी आनंद आता है।