मंडी (वी कुमार) : 13 दिसंबर 2015 को महज 11 साल की उम्र में प्रफुल्ल शर्मा ने सूझबूझ के साथ साहसिक कारनामा कर दिखाया था। बालक के इस कारनामे ने हर किसी को दंग कर दिया था। इस साल गणतंत्र दिवस की दिल्ली में हो रही परेड में प्रफुल्ल शामिल होंगे। साथ ही देश के उन वीर 25 बच्चों के दल में शिरकत करेंगे, जिन्होंने अपनी बहादुरी की बदौलत साहसिक कार्य किए हैं। इन बहादुर बच्चों को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय बाल वीरता पुरस्कार से नवाजेंगे।
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यह था प्रफुल्ल की बहादुरी का कारनामा..
अपनी जान की परवाह किए बिना प्रफुल्ल ने नन्हें पांव से स्कूल बस पर ऐसी कस कर ब्रेक लगाई थी, जिससे दर्जनों नन्हें बच्चों की जान बच गई थी। सरकाघाट के लॉर्ड कान्वेंट स्कूल में अब प्रफुल्ल आठवीं कक्षा का छात्र है। 13 दिसंबर 2015 को स्कूल का शैक्षणिक टूर धर्मशाला के लिए गया हुआ था। वापसी में जब स्कूल बस धर्मपुर क्षेत्र में पहुंची तो चालक शौच करने बस से उतर गया।
उतराई में बस अचानक ही पीछे की ओर चल पड़ी। बस में बैठे नन्हें छात्र भयभीत होकर चिल्लाने लगे। लेकिन उनके बीच ऐसा साहसिक बच्चा प्रफुल्ल मौजूद था, जिसने सूझबूझ का नमूना पेश करते हुए बहादुरी से ड्राईवर सीट पर बैठकर बस की ब्रेक लगा दी। बे्रक लगने से बस रुक गई। बड़ा हादसा टल गया। प्रफुल्ल अपनी इस बहादुरी पर पहले कह चुका है कि सफर के दौरान वह देखा करता था कि ब्रेक कैसे लगती है।
माता-पिता के साथ प्रफुल्ल।तनिक भी प्रफुल्ल ने अपनी जान बचाने की बजाए यह समझने में देरी नहीं की कि अगर बस खाई की तरफ लुढक़ गई तो उसके दोस्तों को जीवन से हाथ धोना पड़ सकता है। एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने प्रफुल्ल की बहादुरी की खबरें प्रकाशित की थी। आज जब परिवार को देश की राजधानी में प्रफुल्ल की बहादुरी पर राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिलने की सूचना मिली तो पिता ने एक पल गंवाए बगैर इस खुशखबरी को एमबीएम न्यूज नेटवर्क से साझा किया।
गत वर्ष जिला स्तरीय गणतंत्र दिवस पर प्रफुल्ल शर्मा को आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह ने वीरता पुरस्कार से नवाजा था। इसके अलावा बाल संरक्षण अधिकार दिवस पर सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने भी प्रफुल्ल को नवाजा। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा किरणा धांटा ने भी प्रफुल्ल की बहादुरी को सैल्यूट किया था। बहादुर बेटे के पिता नरेश भारद्वाज शिक्षक है तो मां अनु बाला गृहणी हैं।