नाहन (एमबीएम न्यूज) : गुरूद्वारा श्री दशमेश अस्थान नाहन में गुरू तेग बहादुर साहिब का शहीदी पर्व बड़ी श्रद्धासुमन के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के दौरान शुक्रवार को श्री अखंड पाठ साहिब प्रारंभ किया गया। श्री अखंड पाठ साहिब का समापन रविवार को किया गया। इस दौरान गुरूद्वारा साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई लक्ष्मण सिंह, जसबीर सिंह व गुरमीत सिंह ने शब्द कीर्तन कर संगतों को निहाल किया।
शब्द कीर्तन के बाद गुरूद्वारा साहिब के प्रधान अमृत सिंह शाह द्वारा गुरू तेग बहादुर के बलिदान के बारे में संगतों को विस्तारपूर्वक जानकारी दी। इसके बाद गुरू का प्रसाद संगतों को वितरित किया गया। कार्यक्रम के बाद गुरू का लंगर अटूट बरताया गया। इसमें संगतों ने बढ़चढ कर गुरू का लंगर ग्रहण किया।
बाबा इकबाल सिंह ने रखी आधारशिला
कलगीधर ट्रस्ट के संस्थापक संत बाबा इकबाल सिंह ने गुरूद्वारा श्री दशमेश अस्थान साहिब में बनने वाले भव्य भवन की आधारशिला रखी। इस दौरान उन्होंने चीमा साहिब व नाहन की संगतों के साथ अपने विचार सांझा किए। इस दौरान बडू साहिब ट्रस्ट के बच्चों ने भी गुरू की वाणी से संगतों को निहाल किया।
गुरूद्वारा नाहन के प्रधान अमृत सिंह शाह ने कलगी ट्रस्ट के संस्थापक बाबा इकबाल सिंह का पूरी संगतों की ओर से गुरूद्वारा साहिब में भव्य भवन की आधारशिला रखने के लिए धन्यवाद किया। साथ ही कहा कि इस कार्य के लिए पूरी संगत व प्रबंधक कमेटी उनके साथ तन, मन व धन से पूरा सहयोग करेगी।
कार्यक्रम में आए एसजीपीसी के मुख्य कार्यकारी सदस्य करनेल सिंह ने भी कहा कि पूरा एसजीपीसी उनके इस साथ सेवा के लिए खड़ा है। शिलान्यास कार्यक्रम में बाबा संत सिंह, जत्थेदार जसबीर सिंह व जीत सिंह के अलावा एसपी सौम्या सांबशिवन व पूर्व विधायक अजय बहादुर सिंह व समूह साध संगत उपस्थित थे।
विद्या, विचारी त परोपकारी ही मेरा उद्देश्य
कलगीधर ट्रस्ट के संस्थापक संत बाबा इकबाल सिंह ने कहा कि विद्या, विचारी त परोपकारी ही मेरा परम उद्देश्य है। उन्होंने संगतों को कहा कि मेरा उद्देश्य बच्चों को पढ़़ा कर देश कोम की सेवा में अपनी भागीदारी निभाने का है। यह उनका कर्तव्य व धर्म है। उन्होंने विचार सांझा करते हुए कहा कि संगत की सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि जब वह नाहन में डिप्टी डायरेक्टर एग्रीकल्चर थे तो उन्होंने नाहन में एसएफडीए हाल का निर्माण करवाया।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डा. वाईएस परमार के साथ उनका बेहद गरीबी लगाव था। जब वह नाहन आते थे तो उनके साथ वह काफी समय बिताते थे। उन्होंने कहा कि एक दिन वाईएस परमार ने कहा कि एक साथ लोगों की समस्याएं सुनने के लिए नाहन में कोई उचित स्थान नहीं है। इसलिए मै लोगों की समस्याएं नहीं सुन पाता। संत बाबा इकबाल सिंह ने कहा कि उस समय केंद्र सरकार से अनाज गोदाम बनानेे केे लिए एक योजना आई थी।
उन्होंने कहा कि योजना के तहत उन्होंने अनाज गोदाम छोटा बना दिया था। जबकि उसके उपर लोगों के बड़ा हाल बनाया, जिसका नाम एसएफडीए रखा गया। इसको लेकर केंद्र सरकार से निरीक्षण टीम नाहन पहुंची। टीम ने कहा कि गोदाम छोटा बना दिया। उसके ऊपर हाल की क्या जरूरत थी। इसको लेकर उनके खिलाफ पैसों का दुरूपयोग का मामला बना दिया।
केंद्र सरकार से चिट्ठी आती रही। मगर वह चिटठी का जवाब देते रहे। उनकी सेवानिवृत नजदीक आ गई। केंद्र सरकार से फाइनल चिटठी प्रदेश सरकार के पास पहुंची। उसमें कहा गया कि यह एसएफडीए हाल जनहित में मनाया गया है या फिर उसमें पैसे का दुरूपयोग हुआ है। प्रदेश सरकार ने अपनी सहमति जताते हुए इस भवन को जनहित में बनाया गया है। जिस पर प्रदेश ने अपनी सहमति केंद्र सरकार को भेजीथी।