बनाह की सैर-मछलांह उठाऊ पेयजल योजना के पानी में गले-सड़े चूहे आने से ग्रामीणों में हडकंप मच गया है। आम तौर पर भी लाखों की इस योजना से ग्रामीणों को गंदा व प्रदूषित पानी मिल रहा है। विभागीय लापरवाही का आलम यह है कि व्यवस्था में सुधार न होने के चलते ग्रामीणों ने इस पानी को उपयोग में लाना बंद कर दिया है।
सराहां उपमंडल के तहत पडने वाली बनाह की सैर-मछलांह पेयजल योजना से बनाह घिन्नी पंचायत के करीब दो दर्जन गांवों को जोडा गया है। पेयजल को नदी से उठाकर सप्लाई किया जाता है। सप्लाई करने से पहले विभाग न तो इसे फि ल्टर करता न ही पानी की क्लोरिनेशन की जाती। इससे क्षेत्र में संक्रमित बीमारियों के पनपने का अंदेशा बढता जा रहा है। वैसे तो इस योजना में लाखों की राशि खर्च कर फि ल्टर बनाए गए हैं। मगर फिल्टर बेकार पडे शोपीस बने हैं।
काहन गांव निवासी सुनील शर्मा, अनिल, संजय, रमेश शर्मा, लवली, नोनू व विनोद शर्मा ने बताया की गांव में पिछले लंबे समय से गंदा पानी आ रहा है जिससे बीमारियां बढ रही हैं। अब उन्होंने इसे पीना ही छोड दिया है। फि र भी विभाग इसमें सुधार करने को राजी नहीं है जो चिंता का कारण है। गांव में पीने के पानी की सप्लाई के दौरान चूहे आ रहे हैं जो गली सडी हालत में होते हैं। वीरवार को पाइप लाइन में मरा हुआ चूहा निकला जो बुरी तरह गला हुआ था।
इससे पहले भी यहां इसी तरह गला सडा चूहा निकला था। हालांकि उस समय विभाग ने टैंकों की सफाई करने की बात कही थी। मगर उसके एक माह बाद वही सामने आ रहा है। ग्रामीणों ने विभाग से मांग की है कि उन्हें क्लोरिनेशन युक्त व फिल्टरड पानी दिया जाए। अन्यथा वह सडकों पर उतरने के लिए विवश हो जाएंगे।
पंचायत प्रधान अनूप शर्मा ने कहा कि विभाग को कई बार गंदे पानी की समस्या से अवगत करवाया गया है। मगर कार्रवाई नहीं हो रही है। अब तो पाइप लाइन में मरे हुए चूहे आ रहे हैं जिससे गंभीर बीमारियां फैलने का खतरा बढता जा रहा है। उन्होंने विभाग को चेतावनी दी है कि यदि समय रहते गंदे पानी की समस्या का हल नहीं निकला तो ग्रामीणों को मजबूरन आंदोलन का रास्ता अपनाना पडेगा।
उधर, इस संबंध में एसडीओ महेश अत्री ने बताया कि काहन गांव में गंदा पानी आने व गले-सडे चूहे मिलने की जानकारी मिली है। वह स्वयं मौके का मुआयना करेंगे। साथ ही सुधार के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे।