मंडी (एमबीएम न्यूज़) : भारत सरकार द्वारा 1000 और 500 रूपए के नोटों को बंद किए हुए आज 13 दिनों का समय बीत गया है लेकिन अभी भी हालात सामान्य होते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। नोटबंदी के कारण जहां पूरा देश परेशानियों का सामना कर रहा है वहीं पूर्व सैनिक और सैनिकों के परिजन भी खासी परेशानी में हैं।
इन दिनों शादियों का सीजन चला हुआ है और ऐसे में पूर्व सैनिक और सैनिकों के परिजन जरूरत का सामान लेने के लिए आर्मी कैंटिन की तरफ अपना रूख कर रहे हैं। आर्मी कैंटीनें भारत सरकार का उपक्रम होने के बावजूद भी यहां पर 1000 और 500 रूपए के पुराने नोट नहीं लिए जा रहे हैं। अधिकतर पूर्व सैनिक ऐसे हैं जो बैंकों में लंबी-लंबी लाईनों में खड़ा होने में असमर्थ हैं और उनके पास 1000 और 500 रूपए के जो पुराने नोट हैं उन्हें कैंटिन में मंजूर नहीं किया जा रहा है।
वहीं अधिकतर सैनिक ऐसे हैं जो इस वक्त सरहदों पर तैनात हैं और नोटबंदी के कारण उनके परिजन यहां पर समस्याएं झेलने को मजबूर हैं। पूर्व सैनिकों और इनके परिजनों ने भारत सरकार से मांग उठाई है कि वह आर्मी की कैंटिनों में 1000 और 500 रूपए के पुराने नोट लेने का प्रावधान करे ताकि इन्हें बैंकों में धक्के खाने के बजाए कैंटिनों में ही पूरी सुविधा मिल सके।
रिटायर कैप्टन वाईसी वैद्य ने बताया कि वह इस अवस्था में बैंकों में नहीं जा सकते और कैंटिन में भी उन्हें परेशानी ही झेलनी पड़ रही है। वहीं सैनिक की पत्नी रितिका ठाकुर ने बताया कि घर की जरूरत का सामान लेने में दिक्कतें आ रही हैं। इन्होंने सरकार से मांग उठाई है कि सरकार कैंटिनों आदि सरकारी उपक्रमों में 1000 और 500 रूपए के पुराने नोट लेने की व्यवस्था करे, ताकि पूर्व सैनिकों और सैनिकों के परिजनों को परेशानी पेश न आए।