शिमला (एमबीएम न्यूज): एक शायर की गजल का पहला मिशरा है-खुदा मुझे इतनी खुदाई न दे कि मुझे मैं दिखाई न दे, बिल्कुल फिट बैठता है। वीरभद्र सिंह को खुदाई यानि सत्ता तो बख्शी, लेकिन उन्होंने कभी भी अपनी ओर नहीं देखा। वह समझते आ रहे हैं कि उन्हें जितनी उर्जा जनता से मिलती है और किसी से नहीं मिल सकती।
यही उनके स्वास्थ्य के गिरने का मुख्य कारण माना जा सकता है। न दिन को चैन और न रात को नींद। 18-18 घंटे काम करना और लोगों को मिलते रहना उनकी दिनचर्या बन गई है, लेकिन उनको संभवत: ये नहीं पता कि शरीर उतना ही बोझ उठा सकता है, जितनी उसमें शक्ति होती है और ये शक्ति बढ़ती आयु के साथ-साथ घटती जाती है और यदि कहा जाए तो इससे तनाव भी पैदा होता है और इसके अतिरिक्त माह में 15-16 दिन दौरा करना और रात भर लोगों से मिलते रहना, उनका रूटीन बन चुका है।
अगर गौर किया जाए तो बुधवार को मंडी व श्री रेणुका जी प्रवास के दौरान मुख्यमंत्री के चेहरे पर अधिकतर समय मुस्कुराहट थी। तस्वीरें इस बात की तरफ इशारा करती नजर आई कि वह थके हुए नहीं हैं, बल्कि पूरी ऊर्जा से कार्य में लगे हैं। संभवत: उनके निशाने पर 2017 का विधानसभा चुनाव भी है।
पिछले तीन-चार महीनों से जिस तरह वह दौरे कर रहे हैं, उससे पता चलता है कि उन्होंने स्वास्थ्य की कीमत पर थकान को हार देने की कोशिश की है। पिछले सप्ताह जिला शिमला के डोडरा-क्वार के क्षेत्र के दौरे के दौरान वहां की धूल ने उनकी सेहत पर प्रभाव डाला और उनका गला खराब हो गया तथा छाती में जमाव के कारण उन्हें आईजीएमसी में दाखिल होना पड़ा। वहां से छुट्टी मिलने के बाद वह दिल्ली चले गए। वहां भी उन्होंने अपना स्वास्थ्य जांच करवाया।
दूसरी ओर उनके दौरे का कार्यक्रम बनाने वालों को यह भी सोचना चाहिए कि मुख्यमंत्री का गिरता स्वास्थ्य क्या इतना शारीरिक बोझ सहना कर सकता है या नहीं? परसों रात को उनकी तबीयत अचानक खराब हो गई और फिर उनको अस्पताल ले जाया गया। कहा जाता है कि वीरभद्र सिंह ने अपनी सारी व्यस्तताएं स्थगित कर दीं। लेकिन आज फिर वह मंडी, रेणुका के दौरे पर चले गए। मुख्यमंत्री का गिरता स्वास्थ्य उनके चाहने वालों तथा परिवार वालों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। लेकिन फिर भी वह अपने दौरों से पीछे नहीं हट रहे।
हिमाचल प्रदेश के कई सियासतदानों पर इतना दवाब व तनाव रहता है कि सभी दलों के नेताओं के स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता रहा है और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी अपवाद नहीं हैं। पिछले दिनों कांग्रेस प्रभारी अंबिका सोनी ने ये घोषणा कर दी कि अगला विधानसभा चुनाव वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। इससे उनका मुख्यमंत्री के रूप में और कांग्रेस के आदमकद नेता होने के कारण पार्टी को मिशन रिपीट में सफलता दिलवाना उनका उत्तरदायित्व होगा। कांग्रेस हाईकमान भी यह मानकर चल रही है कि वीरभद्र सिंह के नेतृत्व में ही पार्टी फिर सत्ता में आ सकेगी।