हमीरपुर(एमबीएम न्यूज़): बिन आंखों के सब सूना होता है । लेकिन आंखों की रोशनी न होने के बावजूद भी संगीत का ज्ञान बांटने के लिए हमीरपुर के धर्मपाल शर्मा ने कभी कंजूसी नहीं की और आज धर्मपाल शर्मा शास्त्रीय संगीत में बिन आंखों के भी संगीत का ज्ञान बांट रहे है। जो कि अध्यापक वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि पूरे समाज के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत से कम नहीं है। संगीत प्रेमी होने के चलते धर्मपाल शर्मा ने आजीवन कुवारें रहने का संकल्प लिया और 76 वंसत देखने के बाद भी अकेले की कठिन डगर में आज तक चलते रहे है। संगीत के शौक के चलते आज धर्मपाल शर्मा की पहचान सबसे अलग बनी हुई है। बचपन से ही हमीरपुर के कुठेडा के निवासी धर्मपाल शर्मा की आंखे खराब हो गई और उनकी रोशनी चली गई । लेकिन धर्मपाल शर्मा ने पढाई नहीं छोडी और शास्त्रीय संगीत में महारत हासिल की। जिसकी बदौलत ही काफी सालों तक आरकेएमबी कालेज शिमला व हमीरपुर डिग्री कालेज में भी बतौर शास्त्रीय संगीत शिक्षक सेवाएं दी और सैकडों छात्रों को संगीत का ज्ञान बांटा।
धर्मपाल को संगीत के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के एवज में दर्जनों पुरस्कार भी मिले है जिससे धर्मपाल का हौंसला कभी डगमगाया नहीं है। धर्मपाल शर्मा का कहना है कि शास्त्रीय संगीत के प्रति शौक के कारण ही आज संगीत का ज्ञान बांट रहे है। उन्होंने बताया कि शौक सारी दिक्कतों को झेल लेता है। कुछ सालों तक धर्मपाल की डिग्री कालेज में सेवाएं देने के बावजूद भी पेंशन न मिलने पर मलाल रहा है लेकिन अब पेंशन शुरू हो गई है। धर्मपाल का कहना है कि छात्रों को श्रद्वा से पढना चाहिए और अध्यापकों केा भी मन लगाकर पढाना चाहिए। गौरतलब है कि शास्त्रीय संगीत शिक्षक धर्मपाल उम्रदराज होने के बावजूद भी अेकेले ही जिंदगी की जंग लड रहे है और इसमें संगीत छात्र उनके अंग संग रहते हुए कभी एहसास नहीं होने देते है कि बिना आंखों के कैसे दिनचर्या निपटाई जाए।
डगर थी कठिन पर डगमगाया नहीं हौंसला-
खास बातचीत में धर्मपाल ने बताया कि उनके जीवन की डगर काफी कठिन थी। लेकिन उनका हौंसला कभी कम नहीं हुआ। 2003 में हमीरपुर कॉलेज से रिटायरमेंट के बाद उनको पेंशन नहीं मिली। लेकिन वो हारे नहीं बल्कि इस मुद्दे को लेकर हाईकॉर्ट का दरवाजा खटखटाया। 12 साल तक चली इस लड़ाई के बाद आखीरकार जीत धर्मपाल की हुई। 2015 में उनको सरकार की तरफ से पेंशन मिल गई। उन्होंने बताया कि वो अपने हक के लिए लड़े। उन्होंने बताया कि आज तक उन्होंने अंपगता की पेंशन नहीं ली।
बच्चों को सिखाते है निशुल्क संगीत-
धर्मपाल बच्चों को निशुल्क संगीत की शिक्षा देते है। चाहे छात्र किसी भी उम्र से संबंध रखता हो। वह संगीत के ज्ञान को बांटने में कजूंसी नहीं करते है। धर्मपाल को संगीत का ऐसा शौक है कि सुबह 5 बजे से ही वह बच्चों को संगीत की ट्रैनिग देना शुरू कर देते है।