मंडी (वी कुमार) : खबर राज्य सरकार के उस दावे की पोल खोलने वाली है जिसके तहत सरकार घर द्वार पर शिक्षा देने का दम भरती है। मामला मंडी जिला के मिडल स्कूल घरवासड़ा का है, जहां पर शिक्षकों की कमी के चलते बच्चों ने सामूहिक तौर पर स्कूल छोड़ दिया। अब स्कूल पर ताला लटका हुआ है।
राज्य सरकार गांव-गांव में स्कूल खोल रही है। नौनिहालों को शिक्षा ग्रहण करने लिए अपने घरों से दूर न जाना पड़े इसके लिए सरकार काफी कम आबादी पर भी स्कूल का लाभ दे रही है। लेकिन ये क्या, स्कूल खोलने में जुटी सरकार उसमें शिक्षकों को भेजना तो भूलती ही जा रही है।
प्रदेश के मुखिया यानी सीएम वीरभद्र सिंह ने शिक्षा विभाग को अपने पास ही रखा है। जब सीएम साहब ने इसे अपने पास रखा था तो उम्मीद थी कि इसमें कुछ न कुछ बेहतर होगा, लेकिन बेहतर होना तो दूर आलम यह हो गया है कि स्कूलों में अध्यापकों की कमी के कारण बच्चे ही स्कूल छोड़कर जाने को मजबूर हो रहे हैं। ताजा मामला मंडी जिला के सरकाघाट उपमंडल के मिडल स्कूल घरवासड़ा का है।
कक्षा 6 से लेकर 8 तक इस स्कूल में विद्यार्थियों की संख्या 9 थी और इन्हें पढ़ाने वाले अध्यापकों की संख्या मात्र 2। वर्ष 2014 में इस स्कूल में शिक्षकों के तबादले का सिलसिला शुरू हुआ। एक के बाद एक यहां से तीन शिक्षकों का तबादला हो गया। लेकिन, विभाग ने यहां पर एक भी शिक्षक की तैनाती नहीं की। इस शैक्षणिक सत्र में स्कूल में एक पीईटी व एक विज्ञान अध्यापक इन बच्चों को पढ़ा रहे थे। लेकिन, स्कूल में शिक्षा से अंसतुष्ट विद्यार्थियों के अभिभावकों ने 25 अक्तूबर को सामूहिक रूप से बच्चों का घरवासड़ा स्कूल से नाम वापस ले लिया।
आधे से अधिक शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद अभिभावकों को शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते बच्चों को सीनियर सकैंडरी स्कूल में दाखिला दिलाने पर विवश होना पड़ा। नतीजतन अब स्कूल पर ताला लटका हुआ है और स्कूल किसी वीराने से कम नजर नहीं आ रहा।
ऐसा भी नहीं कि स्थानीय लोगों ने शिक्षकों की कमी के बारे में शासन और प्रशासन को अवगत नहीं कराया, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। एसएमसी प्रधान श्याम लाल के अनुसार ग्रामीणों ने जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और राज्य सरकार को कई ज्ञापन भेजे लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। नतीजतन सभी अभिभावकों ने अपने बच्चों को मिडल स्कूल घरवासड़ा से सीनियर सकैंडरी स्कूल चौक के लिए शिफ्ट कर दिया। जहां बच्चे अपने घर के नजदीक शिक्षा ग्रहण करते थे वहीं अब उन्हें 8 किलोमीटर पैदल जाकर शिक्षा ग्रहण करनी पड़ रही है।
वहीं जब इस बारे में प्रारंभिक शिक्षा उपनिदेशक केडी शर्मा से बात की गई तो उन्होंने बताया कि बच्चों द्वारा स्कूल शिफ्ट करने के चलते अभी स्कूल के मौजूदा स्टाफ को किसी दूसरे स्थान पर शिफ्ट कर दिया गया है और इस बारे में शिक्षा निदेशालय को भी सूचित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि अगर 2 वर्षों के दौरान स्कूल में कोई दाखिला नहीं होता है तो फिर स्कूल को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा।
हैरानी होती है यह जानकर की प्रदेश के सीएम वीरभद्र सिंह जब अपनी जनसभाओं में जोर-शोर के साथ इस बात को कहते हैं कि राज्य सरकार एक बच्चे के लिए भी स्कूल खोलेगी और चलाएगी तो फिर उनकी इन बातों पर धरातल पर अमल क्यों नहीं हो रहा है। क्यों आज बच्चे अध्यापकों की कमी के कारण और अच्छी शिक्षा न मिलने के कारण पलायन कर रहे हैं। यह एक चिंतनीय विषय है जिसपर प्रदेश सरकार को चिंतन-मनन करके कोई ठोस निष्कर्ष निकालना होगा।