राजगढ़ (शेरजंग चौहान) : साजा और पड़ेई को शिरगुल देवता के लगभग 15000 श्रद्धालुओं ने शाया मंदिर में माथा टेक कर चावल और अखरोट भेंट स्वरूप अर्पण किए। साजे के दिन सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लग गया और दूसरे दिन पड़वा तक जारी रहा। दोनों दिन भंडारे का भी आयोजन किया गया, जिसका पूरा खर्च रिटायर्ड एक्सीयन एलआर वर्मा की याद में उनकी पत्नी इंदिरा देवी, पुत्र विनय वर्मा एवं परिवार के सदस्यों ने वहन किया, जिस पर लगभग एक लाख दस हजार रुपए खर्च हुए।
देवकार्य प्रमुख रणवीर सिंह ने बताया कि इस दीवाली पर श्रद्धालुओं की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई, जिसका कारण देवकार्य आरंभ होना समझा गया है। ज्ञात रहे 2013 में देवठन की रात को मंदिर में आग लग गई थी और पूरा मंदिर जल गया था। काफी दिनों से काम बंद रहने के बाद कार्य दोबारा आरंभ किया गया तथा दीवाली से पहले ‘चाकला’ ( जिस पर देवता का गूर को हवा आती है) और ‘पौल’ (मुख्य द्वार) बना कर पूर्ण कर दिया गया था, जिसकी सभी श्रद्धालुओं ने खूब सराहना की।
इसके अलावा देवकार्य शिजस्वी समिति के प्रधान अमर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी 5 नवंबर से दोबारा देवकार्य आरंभ कर दिया जाएगा। मंदिर कार्य को आरंभ होते देख कर श्रद्धालुओं ने चढ़ावे के अतिरिक्त 50 हजार का सहयोग भी दिया। समिति अध्यक्ष ने उक्त कार्य का श्रेय पटगांवी और मावी को दिया और कहा कि अभी वे आगामी कार्य भी सम्पन्न करेंगे। इस मौके पर जाने माने लोगों में पूर्व कृषि एवं बागवानी विश्व विद्यालय नौनी के पूर्व वीसी डॉ. जगमोहन सिंह ने अपने परिवार सहित शीश नवाया।
इनके अलावा राजगढ़ के व्यवसायी सतीश ठाकुर एवं पूर्व हाईकोर्ट जज ठाकुर सुरेंद्र सिंह ने भी माथा टेका। ठाकुर सुरेंद्र सिंह जज ने देवकार्य प्रमुख रणवीर सिंह एवं समिति अध्यक्ष अमरसिंह के कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने देवकार्य को बड़े सुदर ढंग से पूर्ण किया है। पूर्व जज ने कहा मंदिर कार्य में तन मन धन से सहयोग देते रहेंगे।
देवता के गूर अथवा गणिता यशवंत सिंह (टीनू) ने देव वाणी के माध्यम से कहा कि अब कार्य बंद नहीं होना चाहिए। वे हर कार्य में निर्माणकर्ताओं की दैविक तौर पर मदद करेंगे। ज्ञात रहे इन दो दिनों में श्रद्धालुओं ने कितना भेंट किया का पता 5 नवंबर को लगेगा। इस दिन तहसीलदार राजगढ़ के समक्ष गल्ला खोला जाएगा।