एमबीएम न्यूज/हमीरपुर
समूचा देश दिवाली के पर्व पर जगमगा उठता है। आप यकीन कीजिए, हमीरपुर के सम्मु गांव में दिवाली का पर्व मनाना तो दूर की बात है, यहां लोग इस दिन घरों से बाहर निकलना भी मुनासिब नहीं समझते। इसे संयोग कहें या श्राप, दीपावली के महीने में इस गांव में किसी न किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है।
क्यों नहीं मनाया जाता दीपावली का त्यौहार?
ग्रामीणों ने बताया कि इस गांव में करीब 100 वर्षो से दीपावली का त्यौहार नहीं मनाया गया है। अगर कोई परिवार दीपावली के त्यौहार को मनाने की कोशिश करता है तो गांव में कोई न कोई अकाल मृत्यु हो जाती है। यह गांव एक ऐसा श्राप भुगत रहा है। जो पिछले सौ सालों से इस गांव का पीछा नहीं छोड़ रहा।
बताया जाता है कि दीपावली के ही दिन गांव की ही एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी महिला दीपावली का त्यौहार मनाने के लिए अपने मायके जाने को निकली थी। उसके पति भारतीय सेना में जवान थे। किसी लेकिन जैसे ही महिला गांव से कुछ दूर आ गई तो सामने से उसके पति के शव को ग्रामीण ला रहे थे। उसके पति की मृत्यु डयूटी के दौरान हो गई थी।
महिला गर्भवती भी थी। कहते है कि महिला को यह सदमा बर्दाशत नहीं हुआ और वह अपने पति के साथ ही सति हो गई। जाते जाते वह सारे गांव को यह श्राप देकर चली गई कि इस गांव के लोग कभी भी दीपावली का त्यौहार नहीं मना पाएगे। और उस दिन से आज तक इस गांव में किसी के घर में दीए नहीं जले।
ग्रामीणों को दीपावली न मनाने का मलाल
धीरेण्धीरे वक्त बीतता चला गया सौ साल बीत गए। लेकिन परंपरा नहीं बदली। दीपावली का त्यौहार और सजने- सवरने का मलाल भी इस गांव के लोगों की जुबान पर साफ झलकता दिखाई दिया। गांव के ही संजय रागड़ा ने बताया कि जब भी यह त्योहार आता है तो उनका दिल भर आता है। क्योंकि सभी जगह घरों में चहल-पहल होती है। लेकिन उनके गांव में इस दिन किसी के घर में दीए नहीं जलते।
जादू-टोने से लेकर हवन-यज्ञ, सब विफल
गांव को इस श्राप से मुक्त करवाने के लिए कई बार टोने टोटके से लेकर हवन-यज्ञ तक का सहारा लिया गया। लेकिन सब कुछ विफल रहा। करीब 3 साल पहले गांव में एक बहुत बड़े यज्ञ का आयोजन भी किया गया था, लेकिन आज दिन तक इस गांव को इस श्राप से मुक्ति नहीं मिल पाई।
पंचायत प्रधान गरीब दास ने बताया कि सम्मू गांव में आज दिन तक दीपावली का त्यौहार नहीं मनाया गया है। उन्होंने बताया कि दीपावली का त्यौहार आते ही गांव में कोई न कोई मृत्यु हो जाती है। उन्होंने बताया कि पता नहीं इस गांव को इस श्राप से मुक्ति अब मिलेंगी।
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