शिमला (एमबीएम न्यूज़) : शिमला नगर निगम की ओर से नगर में बाहरी राज्यों से आने वाली गाडि़यों पर मनाली की तर्ज पर ग्रीन टैक्स लगाने के फैंसले का बड़े शोर-शराबे से प्रचार किया था और इस पर कई हजार रूपये खर्च भी कर दिए थे। लेकिन अभी तक ग्रीन टैक्स की वसूली की तिथि तय करने को लेकर कोई फैंसला नहीं हो पाया है।
दरअसल स्थानीय होटल मालिकों तथा पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों ने शिमला में ग्रीन टैक्स का विरोध करते हुए कहा था कि इस टैक्स के लगने से पर्यटन उद्योग प्रभावित होगा तथा इसे देखते हुए ऐसा लग रहा है कि नगर निगम संभवतः ग्रीन टैक्स पर पुर्नविचार कर रही है।
हालांकि नगर निगम के एक प्रवक्ता ने आज बताया कि ग्रीन टैक्स को लेकर अभी कुछ औपचारिकताएं पूरी की जानी हैं तथा इसके बाद ही इस टैक्स की वसूली की तिथि तय की जाएगी।
उधर, नगर निगम द्वारा शहर के सभी परिवारों को छह-छह महीने का पानी का बिल दिए जाने से जनता में निगम के खिलाफ भारी गुस्सा है। कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि पिछले कुछ समय से नगर निगम की ओर से तीसरे या चौथे दिन पानी की सप्लाई हो रही है, लेकिन नगर निगम पूरे महीने का बिल वसूल करता है और वह भी 350 रूपये मासिक फलैट रेट पर दिया जा रहा है।
यदि किसी परिवार के दो सदस्य हैं, उससे भी साढ़े तीन सौ रूपये वसूले जाते हैं तथा यदि दूसरे परिवार के छह सदस्य हैं, उन्हें भी यही कीमत देनी होती है। यह कहां का न्याय है और कहां तक तर्कसंगत है।
अभी हाल ही में पानी के बिलों की सप्लाई नगर निगम के सैहब सोसायटी के कर्मचारियों द्वारा की गई है और यदि पानी के बिलों की सप्लाई वास्तविक पानी के उपयोग पर की जाए, तो कई परिवारों को लाभ पहुंच सकता है। लेकिन नगर निगम ने इस मांग को दरकिनार कर दिया है।
नगर निगम द्वारा परिवारों को वास्तविक पानी के उपयोग पर बिलों की सप्लाई क्यूं नहीं होती, यह समझ से परे है।
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