मंडी (वी कुमार) : नागचला से लेकर हटौण तक आने वाले 12 मुहालों को राज्य सरकार और एनएचएआई ने पंडोह से बदलकर बिलासपुर के साथ जोड़ दिया है। अब इन मुहालों के फोरलेन प्रभावितों को अपनी जमीन के अधिग्रहण से संबंधित सभी कार्रवाई को पंडोह के बजाए 80 किलोमीटर दूर जाकर बिलासपुर में पूर्ण करवाना होगा।
इसी बात को लेकर फोरलेन प्रभावित भड़क उठे हैं और फिर से सड़कों पर उतरकर इसका विरोध कर रहे हैं। बुधवार को फोरलेन प्रभावितों ने चक्कर स्थित एनएचएआई के परियोजना अधिकारी कार्यालय के बाहर धरना-प्रदर्शन किया और राज्य सरकार तथा एनएचएआई के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। उपरांत इसके प्रभावितों ने कार्यालय में मौजूद अधिकारी को अपना ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन के माध्यम से इन्होंने मांग उठाई है कि नागचला से लेकर हटौण तक के सभी प्रभावितों को भू अर्जन अधिकारी कार्यालय पंडोह में ही शामिल किया जाए। क्योंकि इन्हें अपने कार्य करवाने के लिए 80 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा। फोरलेन प्रभावित संघर्ष समिति के अध्यक्ष ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर का कहना है कि सोची समझी साजिश के तहत राज्य सरकार और एनएचएआई ने यह निर्णय लिया है ताकि फोरलेन प्रभावितों का विभाजन किया जा सके और उन्हें अलग थलग किया जा सके।
इन्होंने चेताया है कि जब तक इन्हें दोबारा से पंडोह कार्यालय के साथ नहीं जोड़ा जाएगा, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। वहीं फोरलेन प्रभावितों ने एनएचएआई के परियोजना निदेशक द्वारा पिछले कल एक दैनिक समाचार पत्र को दिए गए उस बयान का भी कड़े शब्दों में विरोध किया है जिसके तहत इसी महीने नागचला से मनाली तक बनने वाले फोरलेन के कार्य को शुरू करने की बात कही गई है।
प्रभावितों का कहना है कि जब तक उन्हें यही मालूम नहीं कि उन्हें कितना मुआवजा मिलेगा तो ऐसी स्थिति में कार्य शुरू कैसे किया जा सकता है। इन्होंने चेताया है कि जब तक चार गुणा मुआवजा नहीं मिलेगा तब तक जमीनों पर किसी को भी जबरन कब्जा नहीं करने दिया जाएगा।