मंडी (वी कुमार) : पुलिस का कार्य पीडि़तों को न्याय दिलाने का होता है, अगर उसी पुलिस विभाग का कोई अधिकारी अपने ही विभाग से न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो जाए तो फिर आप क्या कहेंगे। यह कहानी है एएसआई रामलाल ठाकुर की।
नशे के सौदागरों के लिए खौफ माने जाने वाले एएसआई रामलाल ठाकुर इन दिनों अपने ही विभाग से खौफजदा हैं। कारण तबादले के बाद मिल रही मानसिक परेशानी और विभाग का कोई सहयोग न मिलना। बता दें कि मंडी शहर में सड़क किनारे पड़े मलबे को लेकर एएसआई रामलाल ठाकुर और लोक निर्माण विभाग के अधिशाषी अभियंता के बीच कहासुनी हुई थी। इसके बाद रामलाल ठाकुर का सीटी चौकी मंडी से पुलिस लाईन और बाद में पुलिस चौकी सलापड़ के लिए तबादला कर दिया गया था।
रामलाल ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश ट्रिब्यूनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां से रामलाल ठाकुर का तबादला रद्द करने या फिर किसी उचित स्थान पर तैनाती देने के आदेश जारी किए गए हैं। रामलाल ठाकुर ने बायहैंड आदेशों की कापी एसपी मंडी को सौंप दी है, लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। कोर्ट ने आदेशों को 14 दिनों के भीतर लागू करने को कहा है और इसकी अवधि 6 अक्तूबर को पूरी हो रही है।
बता दें कि जब यह पूरा प्रकरण हुआ था तो उस वक्त लोक निर्माण विभाग की यूनियनों ने रामलाल ठाकुर का तबादला न होने की सूरत में आंदोलन तक करने की चेतावनी दे दी थी, जबकि रामलाल ठाकुर के पीछे इनके विभाग की तरफ से किसी ने आवाज नहीं उठाई। हालांकि शहर के लोग और अन्य संगठन खुलकर सामने आए, लेकिन फिर भी रामलाल ठाकुर को तबादले की मार झेलनी पड़ी। रामलाल ठाकुर का कहना है कि विभाग के पास कोई युनियन न होने के चलते कर्मचारियों और अधिकारियों को अपनी बात रखने का मौका नहीं मिलता और इन्हें न्याय नहीं मिल पाता।
इस वक्त रामलाल ठाकुर मंडी और बिलासुपर जिलों की सीमा पर स्थित पुलिस चौकी सलापड़ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जबकि इनकी काबलियत के लिहाज से इन्हें मंडी शहर की पुलिस चौकी या किसी अन्य महत्वपूर्ण चौकी का प्रभारी होना चाहिए। लेकिन इसे विभागीय बेरूखी ही कहेंगे कि ऐसे काबिल आफिसर को अपने ही विभाग का साथ नहीं मिल पा रहा है। लेकिन रामलाल ठाकुर ने आस का दामन थाम रखा है और उम्मीद जताई है कि कोर्ट के आदेशों का विभागीय अधिकारी अवश्य पालन करेंगे।