नाहन (शैलेंद्र कालरा) : पढ़ाई के दौरान अधिकतर स्टुडेंटस के लिए गणित विषय हव्वा बन जाता है। लेकिन शिलाई की दुर्गम पंचायत जरवा जुनैली से निकल कर 28 साल की उम्र में अनुज शर्मा ने कॉलेज कैडर का सहायक प्रोफैसर बनने में सफलता पाई है।
पांवटा साहिब डिग्री कॉलेज से बीएससी करने के बाद घर के हालात ऐसे नहीं थे कि नियमित पढ़ाई जारी रख पाते। लिहाजा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से पत्राचार के माध्यम से एमएससी की शिक्षा पूरी की। राजपत्रित अधिकारी का पद मिलने की गारंटी नहीं थी तो जेबीटी व बीएड भी कर ली। 5 अक्तूबर 1988 को बिशन सिंह व कमला शर्मा के घर जन्मे अनुज के सामने सबसे बड़ी आर्थिक चुनौती थी।
शनिवार दोपहर हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग ने जब परिणाम घोषित किया तो परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। सिरमौर के दुर्गम इलाकों से युवा काफी आगे निकल रहे हैं। हरेक प्रतियोगितात्मक परीक्षा में ट्रांसगिरि क्षेत्र का कोई न कोई युवा सफलता पा रहा है, जो आने वाले वक्त के लिए काफी अच्छे संकेत हैं। ट्रांसगिरि क्षेत्र में आज भी बड़ी आबादी गरीबी की गुरबत में जीवन जी रही है।
एमबीएम से बातचीत में अनुज ने कहा कि माता-पिता व शिक्षकों के अलावा एचएएस अधिकारी केवल शर्मा के मार्गदर्शन से सफलता हासिल की है। उन्होंने कहा कि सफर यहीं पूरा नहीं हुआ है, भविष्य में भी प्रतियोगितात्मक परीक्षाओं की तैयारी जारी रखेंगे।