हमीरपुर (एमबीएम न्यूज) : प्राकृतिक छटा से फिरी कांगड़ा जिले की खूबसूरत पौंग झील विदेशी परिंदों के स्वागत हेतू पूरी तरह तैयार हो गई है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के शिवालिक पहाडिय़ों के आद्र्र भूमि पर ब्यास नदी पर बाँध बनाकर बनी इस झील को महाराणा प्रताप सागर के नाम से भी जाना जाता है। यह बाँध 1975 में बनाया गया था।
महाराणा प्रताप के सम्मान में नामित यह झील एक प्रसिद्ध वन्यजीव अभ्यारण है और यह जलाशय 24,529 हेक्टेयर एक क्षेत्र तक फैला हुआ है और झीलों का भाग 15,662 हेक्टेयर 38,700 एकड़ है। वाइल्ड लाइफ के डीफओ डॉ. नितिन पाटिल ने बताया कि कांगड़ा की पौंग झील इस बार विदेशी महमानों के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने बताया कि अक्तटूबर के पहले हफ्ते में विदेशी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है।
इस बार विभाग इन विदेशी पक्षियों पर खास नजर रखेगा। विभाग इस बार इन विदेशी पक्षियों पर नजर रखने के लिए ट्रैकर का इस्तेमाल भी करने जा रहा है। यहां बता दे की विभाग इससे पहले गौरेया संरक्षण में इसका इस्तेमाल कर चुका है। इस बार हिमाचल की ही कुछ पक्षियों की प्रजाति पर विभाग इस सिस्टम का इस्तेमाल करेंगा।
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार विभाग ने पौंगझील के आसपास कृतिम घोसलों का निर्माण भी किया है। जिससे पक्षियों को आते ही घर जैसा माहौल मिल सके। इस योजना से जहां विदेशी पक्षियों को रहने के लिए उचित स्थान उपलब्ध हो पाएगा, वहीं विभाग भी इन पक्षियों पर नजर रख सकेंगा।
खास बात यह है कि हिमाचल में पक्षियों का स्वर्ग पौंग झील वन्य जीवन शरण्य क्षेत्र विषय पर आधारित डाक्यूमेंटरी को हाल ही में अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया गया। इससे पौंग बांध को पूरे विश्व में ख्याति मिली है। इस वृत्त चित्र में विदेशी परिंदों की सबसे लंबी एवं मुश्किल उड़ान को बेहद खूबसूरती से दर्शाया गया है कि इतनी बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी दुनिया के हर कोने से लंबी यात्रा करते हुए पौंग बांध तक पहुंचते हैं।
सर्दियों के मौसम में पौंग बांध क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे एवं विदेशी परिंदों की मधुर चहचाहट से पूरा क्षेत्र गुंजायमान हो जाता है और प्रकृति के इस अनूठे नजारे को देखने के लिए यहां देश-विदेश से बड़ी संख्या में सैलानी आते हैं। गौरतलब है कि पौंग बांध को वर्ष 1983 में वन्य प्राणी शरण्य स्थल घोषित किया गया था। यहां पर खैर, जामुन, शीषम, आम, शहतूत, कचनार और आंवला इत्यादि पेड़-पौधे हैं, जो पक्षियों के आकर्षण का केंद्र है।
जिला के नगरोटा सूरियां क्षेत्र के साथ लगती 41 किलोमीटर लंबी व 18 किलोमीटर चौड़ी पौंग झील सेंट्रल व नार्थ एशिया तथा ट्राम हिमालयन जोन से परदेशी परिंदों की पसंदीदा आबोहवा वाली जगह है। यहां कभी प्रवासी परिंदों के आगमन का आंकड़ा कम था। लेकिन वाइल्ड लाइफ के प्रयासों से कुछ सालों में यहां की स्थिति में काफी सुधार आया है। अब जब परिंदों की तादाद बढ़ी तो इसे वैट लैंड घोषित किया गया।
दीगर है कि पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय महत्त्व के वैट लैंड रायसर पद्धति के मापदंडों से संरक्षित किए जाते है। रैंसर नामक जगह ईरान में है। रैंसर पद्धति विश्व भर की केवल उन्हीं वैट लैंड को अपने यहां दर्ज करता है। जिसके यहां हर साल संरक्षित प्रजाति के पक्षियों की तादाद 20 हजार से अधिक रहती है। इस पद्धति में केरल की अस्तमुदी ससथाम कोटा लेक व वैबानाड कोल वेट लैंड व कांगड़ा जिला की पौंग झील सहित डेढ़ दर्जन से अधिक झीलें शामिल हैं। यहां सैलानियों को सुविधाए देने के लिए बड़े पैमाने पर प्रयासों की जरूरत है।
इस बार ज्यादा विदेशी मेंहमानों के आने की उम्मीद
वन्य प्राणी संरक्षण विभाग द्वारा उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष 1 लाख 5 हजार विदेशी परिंदे यहां पहुंचे थे। वही 2014 में यह आंकडा 1 लाख 35 हजार के पार था। संभावना जताई जा रही है कि इस वर्ष यह आंकड़ा एक लाख 50 हजार को कर सकता है। काबिलगौर है कि वर्ष 2011 में यहां डेढ़ लाख विदेशी परिंदे पहुंचे थे, जबकि एक दशक पूर्व 2002 में यह आंकड़ा एक लाख 14 हजार था और 1998 में यहां सिर्फ 35500 विदेशी परिंदे ही पहुंच पाए थे। वर्ष 2002 में सर्वाधिक 27761 पिन टेलस प्रजाति के परिंदे यहां आए थे, जबकि यह आंकड़ा 2009 में मात्र 1400 था।
इन प्रजातियों के पक्षी पहुंचते है पौंग झील
रैड नैक्ड ग्रेसव, ब्लैक नैक्ड, गेवस, स्टोन करल्यू, गुलस, कामन पोचार्ड, इग्रेटस, कूटम, व्याहननी डक, बरहैडेड गीज, शावलरस, गडवाल, टफटैड डक्स, रिवर टर्लस, मूरहैंस, कामनटील कारमोरंटस, मालार्डस व मारवल्ड टील सहित दर्जनों प्रजातियों के परिंदों यहां दस्तक देने को तैयार है।
विदेशी व स्थानीय टूरिस्टस के लिए खास तैयारियां
वाइल्ड लाइफ विभाग ने इस बार विदेशी व भारतीय पर्यटकों के लिए खास तैयारियां की है। विभाग यहां पहुंचने वाले पर्यटकों के लिए खास तरह की टी-रूट, कप ,व हिमाचल से जुड़ी जानकारियों की पुस्तक भी उपलब्ध करवाएगा। विभाग वाइल्ड लाइफ से जुड़ी जानकारियों को बुकलेट के माध्यम से भी मेंहमानों तक पहुंचाएगा।
पौंग झील आने वाले विदेशी पक्षियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है। विभाग भी इन पक्षियों की उचित देखभाल व गणना करने के लिए सारे प्रबंध कर लिए है। विभाग इस बार कुछ चुनिंदा पक्षियों पर ट्रेकर के माध्यम से भी नजर रखेगा। यही नहीं विभाग ने कृतिम घोसलों का भी निर्माण किया है। जिससें की पक्षियों को घर जैसा माहौल मिल सके। डॉ.नितिन पाटिल, वाइल्ड लाइफ डीएफओ हमीरपुर