राजेश कुमार: प्राकृतिक संुंदरता से भरपूर जिला सिरमौर प्रदेश सरकार की अनदेखी के कारण पर्यटन स्थल के रूप में नहीं उभर पा रहा । जिला में कई ऐसे स्थान है जो पर्यटन मानचित्र पर सिरमौर का नाम रोशन कर सकते है। जिला में धार्मिक पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं यदि सरकार जिला को पर्यटन मानचित्र पर उभारने के लिए जरा सा भी प्रयत्न करे। सरकार की नजरें इनायत से यदि जिला को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए तो जहां जिला में विकास को गति मिलेगी, सैकडों बेरोजगारों युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। जिला में त्रिलोकपुर, पांवटा साहिब, श्री रेणुका जी, हरिपुरधार तथा चूडधार जैसे धार्मिक स्थानों को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है, वहीं गिरिपार क्षेत्र के चांदपुर, गत्ताधार, सुईनल, भीम का घोडा आदि खूबसूरत वादियां बर्बस ही सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित कर सकती है। इन क्षेत्रों में हरे भरे बान, बुरांश व देवदार के जंगल तथा साथ बहते झरने क्षेत्र की संुदरता को चार चांद लगाते हैं। जिला में अविकसित पर्यटक स्थलों में फरवरी-मार्च में बुरांश की ललिमा, घने चीड व देवदार के जंगल तथा ग्रीष्म ऋतु में पक्षियों की चहचहाट राहगीरों को अपनी ओर खिंचते है। जिला सिरमौर को दो भागों में बांटती गिरिनदी व सतौन व श्री रेणुका जी में नौकायान के माध्यम से पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है। जिला के गिरिपार क्षेत्र के एक ओर टौंस का टापू तथा दूसरी ओर नेडा खड्ड की घाटी पर्यटकों के लिए खूबसूरत वादियों से कम नहीं हैं, वहीं इन क्षेत्रों में झरझर बहते झरने अपनी अनूठी संुदरता के लिए विख्यात है। जिला के चूडधार, हरिपुरधार व चांदपुरधार आदि स्थलों पर ट्रेकिंग व साहसिक खेलों के लिए विकसित किए जा सकते है। यही नहीं हरिपुरधार स्थित मां भंगाइनी मंदिर तथा राजगढ के हाब्बन में पैरा ग्लाइडिंग के लिए विकसित किए जा सकते है। गौर हो कि राजगढ व हरिपुरधार में पैरा ग्लाइडिंग के अभ्यास कैंप भी लगाए गए है जो काफी हद तक सफल रहे थे। जिला के लोगों का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार जिला सिरमौर को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करती है तो यहां के लोगों को रोजगार के लिए बाहरी राज्यों में पलायन नहीं करना पडेगा। लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने कभी भी इन क्षेत्रों को पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए प्रयास ही नहीं किए है। यदि सरकार जिला को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे तो देहरादून के मंसूरी व उत्तरकाशी जाने वाला पर्यटक उत्तराखण्ड की ओर रूख न करके जिला सिरमौर की ओर रूख करेगा। गौर हो कि पर्यटकों के न आने का सबसे बडा कारण जिला की बदहाल सडकें हैं जो भी पर्यटक चंडीगढ से देहरादून तथा देहरादून से शिमला की तरफ रूख करता है वह जिला सिरमौर की सडकों में पडे खढडों को देखकर सपने में भी यहां आने की नहीं सोचता। लोगों का कहना है कि प्रदेश सरकार को यदि जिला को पर्यटन मानचित्र पर लाना है तो जिला की खस्ताहाल सडकों की मरम्मत करनी होगी ताकि जो भी राहगीर एक बार जिला का रूख करे वह भविष्य में यहां आने को लालायित हो।
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