शिमला (एमबीएम न्यूज़) : राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने की ओर अग्रसर मेयर संजय चौहान और सतापक्ष के नेताओं को पहले शहर की सड़कों की हालत पर गौर फरमाना चाहिए। शहर की शायद ही कोई ऐसी सड़क हो जिस पर कोई गड्ढा न हो। एक साल पहले बनी सड़कें पूरी तरह से टूट चुकी है। निगम सड़क बनाने वाले ठेकेदारों पर कार्रवाई करने की जहमत नहीं उठाता जिन्होंने जनता के पैसे को खराब सड़कों पर बर्बाद किया है।
शिमला शहर के विशिष्ठ व्यक्तियों के बंगलों व कोठियों की ओर जाने वाली सड़कें तो चकाचक हैं, लेकिन शहर के अन्य क्षेत्रों व उपनगरों की सड़कों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि ये लोगों के लिए दिन को भी चलना खतरे से खाली नही है।
लोकनिर्माण विभाग द्वारा बरसात से पहले कुछ सड़कों के गढढों को भरने की कोशिश की गई थी, लेकिन हाल ही की बारिशों में इन सड़कों की हालत और भी बदतर हो गई है।
अगर कुछ सड़कों की हालत देखकर उनके नाम लिए जाएं, तो ये सड़कें समरहिल से सांगटी और बालूगंज से टूटू, टूटीकण्डी से खलीनी तथा 103 टनल से नाभा-फागली जाने वाली सड़क और हिमाचल यूनिवर्सिटी से चौड़ा मैदान व बस स्टैंड जाने वाली सड़कों की हालत इतनी बुरी है कि ऐसा लगता है कि न तो लोकनिर्माण विभाग का न ही नगर निगम विभाग का इस ओर ध्यान है।
कुछ सड़कों पर नगर निगम शिमला ने तथा लोकनिर्माण विभाग ने अपने-अपने नियंत्रण वाली सड़कों पर मैटलिंग करने की कोशिश की, लेकिन काम की गुणवता इतनी खराब थी, कि इन सड़कों को फिर से खराब होने में कुछ ही दिन लग रहे हैं।
सड़कों की खस्ता हालत देखकर हर क्षेत्र के पार्षद भी लोकनिर्माण विभाग व स्थानीय नगर निगम को कोस रहे हैं। उधर, शिमला नगर निगम ने एक बार फिर पानी की दरों को बढ़ाने का एलान किया है। जबकि उन्हें स्थानीय लोगों की सुविधा की ओर कोई ध्यान नहीं है।
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