शिमला, 2 जुलाई : बारिश के मौसम में नालागढ़ उप चुनाव से सियासी गर्माहट ने नेताओं के साथ कार्यकर्ताओं के पारे को सातवें आसमान पर पहुंचा रखा है। मानसून एक्टिवेट होने के साथ ही प्रत्याशियों को प्रचार करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। कहीं जलभराव की समस्या है, तो कहीं पुल व पुलिया का शोर है।
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नेताओं की पब्लिक जमकर खबर ले रही है। दोनों प्रमुख दलों भाजपा व कांग्रेस ने अपने बड़े नेताओं को भी चुनाव प्रचार में झौंक रखा है। पंजाब के सीमावर्ती होने के कारण यहां साम-दाम-दंड-भेद चुनाव को रोचक बना रहे हैं। नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय जीते केएल ठाकुर भाजपा के उम्मीदवार हैं। वहीं, कांग्रेस ने अपने पुराने प्रत्याशी हरदीप सिंह बावा को चुनावी मैदान में उतार रखा है।
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वहीं, इस क्षेत्र के लंबे समय तक विधायक रहे स्व. हरि नारायण सिंह सैनी के भतीजे हरप्रीत सिंह सैनी ने निर्दलीय ताल ठोक कर दोनों दलों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं। भाजपा ने हाल ही में उन्हें चुनाव से नाम वापस न लेने के चलते पार्टी से निष्कासित कर दिया है। इसके बाद स्व. सैनी समर्थक पूरे जोर-शोर से हरप्रीत के चुनाव प्रचार में डटकर कांग्रेस व भाजपा उम्मीदवारों के लिए चुनौती बन रहे हैं।
वहीं, पूर्व में विधायक रहे लखविंद्र राणा ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। उनके समर्थक दोनों दलों भाजपा व कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। भौगोलिक रूप से नालागढ़ विधानसभा क्षेत्र दो हिस्सों में बंटा है। पहाड़ी क्षेत्र व मैदानी क्षेत्र। पहाड़ी क्षेत्र में लगभग 26 हजार मतदाता हैं।
वहीं, मैदानी नालागढ़ में 68 हजार के करीब मतदाता अपने मत का उपयोग करेंगे। जातीय गणित पर नजर दौड़ाई जाए तो इस विधानसभा क्षेत्र में दलित वोटर जिनमें रविदास व कबीर पंथियों की संख्या सबसे ज्यादा है, लगभग 22 प्रतिशत के करीब हैं। वहीं, दूसरे स्थान पर राजपूत व गुज्जर समुदाय के वोटर हैं। इसके अलावा ब्राह्मण व सैनी बिरादरी की भी अच्छी-खासी संख्या चुनाव में निर्णायक साबित हो सकती है।
पहाड़ी बेल्ट में राजपूत वोटरों की संख्या काफी अधिक है। पिछली दफा यहां से निर्दलीय उम्मीवार केएल ठाकुर को काफी समर्थन मिला था। यहां की लीड उनके चुनाव जीतने में सहायक बनी थी। मगर इस दफा परिस्थितियां बदली हुई हैं।
ठाकुर को मैदानी व पहाड़ी दोनों क्षेत्रों में लोगों के इस सवाल का सामना करना पड़ रहा है कि उन्होंने त्यागपत्र क्यों दिया? कांग्रेस के हरदीप सिंह बावा इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में हैं। कुल मिलाकर दोनों प्रमुख प्रत्याशियों को भीतरघात की भी आशंका है। पिछले कल रविवार को प्रियंका गांधी की रैली प्रस्तावित थी, मगर अपरिहार्य कारणों से उसे स्थगित कर दिया गया। कांग्रेस की और से डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री व शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने चुनावी जिम्मा संभाल रखा है।
उधर, नाहन के विधायक अजय सोलंकी, बद्दी के विधायक राम कुमार चौधरी कांग्रेस प्रत्याशी के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल चुनाव मैदान में डटे हैं। भाजपा के लिए निर्दलीय प्रत्याशी हरप्रीत सिंह सैनी सिरदर्द बने हुए हैं।
स्व. हरिनारायण सिंह सैनी का अब भी नालागढ़ क्षेत्र में अच्छा वोट बैंक है। मगर, नुकसान कांग्रेस को भी उठाना पड़ेगा। सिख मतदाताओं में हरप्रीत सेंध लगा सकते हैं। हरदीप सिंह बावा ने पिछली दफा सिख वोटों से चुनाव में मुकाबले को दिलचस्प बना दिया था। कुल मिलाकर दोनों दलों को हरप्रीत सिंह के अलावा लखविंदर राणा के भीतरघात से बचना होगा, जो इस पर अंकुश लगा पाया वह नालागढ़ से जीत का परचम लहरा सकता है।
@R1