नाहन – प्रदेश बहु तकनीकी संस्थानों – हिमाचल प्रदेश तकनीकी शिक्षा बोर्ड के बीच केरी ऑन नियमों में बदलाव को लेकर टकराव की स्थिति जस की जस है। केरी ऑन प्रणाली को लेकर यह स्थिति पैदा हुई। इस मामले के ताजा घटनाक्रम में अब बहु तकनीकी संस्थानों में शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों बैच 2013-14 ने आंदोलन की चेतावनी दी है। दरअसल पहले केरी ऑन प्रणाली के तहत छात्रों को पहले समेस्टर में अनुतीर्ण होने के बावजूद अगले सेमेस्टर में दाखिला मिल जाता था। लेकिन अब इस प्रणाली को बदल दिया गया है। इसका विरोध छात्र अपनी दलीलें देकर कर रहे है। पहला सवाल यह उठाया जा रहा है कि जब पुरानी प्रणाली के तहत अगले सेमेस्टर में दाखिला मिल जाता था तो अब अचानक बीच सत्र में नियमों में क्यों बदलाव कर दिया गया है। इसके अलावा छात्र यह भी सवाल उठा रहे है कि वह ग्रामीण क्षेत्रों में हिन्दी माध्यम से शिक्षा ग्रहण कर दाखिले लेते है तो उन्हें कुछ समय अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा में अडजस्ट होने में समय लग जाता है। लिहाजा शुरूआती सेमेस्टर में अनुतीर्ण होने की संभावना रहती है। लेकिन अब नई प्रणाली में उनका एक पूरा साल व्यर्थ होगा। सरकारी व निजी क्षेत्र में इस वक्त राज्य में 40 से 41 बहुतकनीकी संस्थान मौजूद है। 15 सरकारी संस्थानों में करीब 2000 छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे है। जबकि निजी संस्थानों में छात्रों की संख्या 3000 के आसपास बताई जा रही है। छात्रों का आरोप है कि केरी ऑन प्रणाली को बहाल करने के लिए उनका एक प्रतिनिधिमंडल हाल ही में तकनीकी शिक्षा मंत्री जीएस बाली से मिला था। इस दौरान उन्हें उचित आश्वासन भी मिला था। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इस दिशा में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि आंदोलन शुरू करने के लिए छात्रों ने अब तक कोई भी मंच तैयार नहीं किया है। लेकिन अंदरखाते इसकी सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। छात्रों ने कहा कि उचित मंच तैयार होने के बाद ही इस मामले पर अगला कदम उठाया जाएगा। हालांकि केरी ऑन प्रणाली पर तकनीकी बोर्ड की भी अपनी दलीलें है। बोर्ड बार-बार यही दलील देता है कि शिक्षा की गुणवता को सुधारने के मकसद से ही यह कदम उठाया गया है। ऐसा भी बताया जा रहा है कि 1986 में केरी ऑन प्रणाली को 1990 में बदला गया था। मौजूदा प्रणाली को 2003-04 में लागू किया गया। छात्रों की यह दलील बेहद अहम है कि जब देश के अन्य राज्यों में केरी ऑन व्यवस्था लागू है तो हिमाचल में ही अलग व्यवस्था को क्यों लागू करने की कोशिश की जा रही है। इस समूचे मामले पर प्रतिक्रिया में बोर्ड के सचिव सुनील वर्मा ने कहा कि 29 मई, 2013 को तमाम बहु तकनीकी संस्थानों के प्रबंधनों को नियमों में बदलाव को लेकर सूचित कर दिया गया था। इसी के बाद दाखिल हुए। लेकिन अब छूट नहीं दी जा सकती। उन्होनें कहा कि अनुक्रमांक जारी करने के लिए शर्त लगाई गई थी। इसमें 75 प्रतिशत हाजिरी व आंतरिक मूल्याकंन को शामिल किया गया था। लेकिन संस्थानों ने इसका भी उल्लघंन किया। उन्होनें कहा कि प्रदेश में बहु तकनीकी संस्थानों में परिणाम खराब आ रहे थे।
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