नाहन, 15 जून : सिरमौर पुलिस जवान के वायरल वीडियो में कौन सच्चा है-कौन झूठा है, यह तो जांच एक विषय है। लेकिन सीआईडी के डीआईजी (DIG) की सिरमौर के पुलिस अधीक्षक की मौजूदगी में पत्रकार वार्ता को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी बीच एक ऑडियो भी सामने आया है, जिसमें मुख्य आरक्षी द्वारा एक केस को निपटाने के लिए रिश्वत (Bribe) मांगी जा रही है। इस ऑडियो क्लिप (Audio Clip) को लेकर खूब चर्चा हो रही है। प्रश्न यह भी है कि क्या इस ऑडियो क्लिप की फॉरेंसिक (Forensic) जांच हुई है या नहीं।
इसी बीच पत्रकार वार्ता में जब इस बारे में एसपी रमन कुमार मीणा से पूछा गया तो सामने आया कि 17 मई को मुख्य आरक्षी पर घूसखोरी को लेकर शिकायत पुलिस के आला अधिकारियों को दी गई थी। डीएसपी को मामले की जांच का जिम्मा दिया गया था जिसकी प्रारंभिक तहकीकात में आरोप सही साबित हुए थे।
अब इसको लेकर सवाल यह पैदा होता है कि बावजूद इसके जसवीर सैनी कैसे एक ऐसे थाना में जांच अधिकारी के पद पर तैनात था, जो औद्योगिक क्षेत्र में स्थित है। साथ ही मारपीट के मामले में जसवीर को क्यों जांच अधिकारी बनाया गया। आरोप साबित होने के बाद तत्काल प्रभाव से मुख्य आरक्षी (Head Constable) को सस्पेंड या लाइन हाजिर क्यों नहीं किया गया।
यहां सुने क्लिप… यह सही है, पीड़ित पक्ष को न्याय मिलना चाहिए। रोडरेज की घटना में पीड़ित पक्ष की न्याय की मांग न्याय संगत है। लेकिन ऐसे बेशुमार मामले है, जिसमें पीड़ित पक्ष की मांग करते-करते थक जाता है। उदाहरण के तौर एक कालाअंब थाना के अंतर्गत ही 8 जून के बाद आम्बवाला में भी मिलती-जुलती घटना हुई थी, जिसमें पीड़ित को 29 टांके लगे थे। लेकिन इस केस को लेकर शीर्ष अधिकारियों ने कोई फीडबैक नहीं लिया। पीड़ित तीन दिन तक मेडिकल कॉलेज में दाखिल रहा था।
ये बात सही है कि पुलिस के शीर्ष अधिकारी पीड़ित पक्ष को न्याय दिलवाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अब सवाल यह भी उठने लगा है कि क्या शीर्ष अधिकारियों द्वारा इस बात की समीक्षा की जाती है कि कितनी शिकायतों पर महीनों से एक्शन ही नहीं हुआ है।
प्रश्न यह भी पैदा होता है कि मुख्य आरक्षी के बयान कलमबद्ध करने से पहले ही ऐसी बातें क्यों उठा दी गई, जिससे मामला सुलझने की बजाय और उलझ सकता है। हालांकि मुख्य आरक्षी के परिवार का यह भी कहना था कि डीआईजी द्वारा जसवीर सैनी की टेक केयर की जा रही है, ये महकमे के लिए अच्छी बात है।
इसमें भी कोई दो राय नहीं है कि एसपी को भी अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। लेकिन बड़ा सवाल यह भी पूछा जा रहा है कि क्या एसएसपी को अपनी बात डीआईजी की मौजूदगी में मीडिया के सामने रखनी चाहिए थी। ऐसे में निष्पक्षता को लेकर संशय पैदा हो गया था। एसएसपी अलग से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सकते थे, क्योंकि आरोप सीधे तौर पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पर लगे हैं।
बता दें कि पत्रकार वार्ता में यह भी साफ किया गया है कि 8 जून के रोडरेज की घटना की जांच अब सीआईडी करेगी। डीआईजी ने कहा कि वो लापता नहीं था बल्कि छिपा हुआ था। इसी बीच मेडिकल कॉलेज में दाखिल मुख्य आरक्षी ने परिवार को बताया कि वो 11 जून की रात डिप्रेशन में पैदल ही थाना से निकल गया था।
कुल मिलाकर, शनिवार को डीआईजी की पत्रकार वार्ता के बाद मुख्य आरक्षी जसवीर सैनी बैकफुट पर नजर आ रहे हैं।
सवालों पर बोले SSP… पत्रकार वार्ता के दौरान सिरमौर के एसएसपी रमन मीणा ने यह साफ़ कर दिया कि रिश्वत को लेकर शिकायत में सत्यता पाई गई थी। डीएसपी (मुख्यालय) ने जांच की थी। एक्शन न होने को लेकर एसएसपी ने कहा कि इसी दौरान यह घटना हो गई। 29 टांके को लेकर एसएसपी ने कहा कि पीड़ित पक्ष उनके पास नहीं आया। साथ ही कालाअंब थाना में सैनी के जांच अधिकारी बने रहने को लेकर एसएसपी ने स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा।
खैर, हेड कांस्टेबल के वायरल वीडियो के बाद शनिवार को एसएसपी रमन मीणा ने खुलकर अपना पक्ष रख दिया। इससे पहले एक प्रेस विज्ञप्ति में तमाम आरोपों को बेबुनियाद बताया था।