शिमला, 11 मई : पहाड़ी प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह व डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के गृह संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की डगर आसान नहीं है, लेकिन नामुमकिन भी नहीं हो सकती है। हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस को 26 साल से जीत का इंतजार है। 35 सालों में कांग्रेस ने केवल एक बार ही 1996 में जीत का स्वाद चखा था।
देश के केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री (Union Minister for Information and Broadcasting) ने 2019 में चौथी बार चुनाव जीतकर सुरेश चंदेल का रिकाॅर्ड तोड़ दिया था। हालांकि, 2014 में अनुराग ठाकुर ने हैट्रिक (Anurag Thakur took a hat-trick) लगाकर चंदेल की बराबरी कर ली थी। लेकिन 2024 में अनुराग एक कदम आगे निकल गए। दीगर है कि 1996 में धूमल कांग्रेस के मेजर जनरल विक्रम सिंह से 15,113 मतों से हारे थे। इसके बाद से कांग्रेस यहां चुनाव नहीं जीती है।
2024 में बात हटकर इस कारण भी है कि हिमाचल के कांग्रेस के मुख्यमंत्री व उपमुख़्यमंत्री का ताल्लुक हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से है। सीएम हमीरपुर जनपद के नादौन विधानसभा के विधायक हैं, जबकि डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ऊना जिला के हरोली विधानसभा से विधायक है।
गौर किया जाए तो अनुराग ने 2008 के उप चुनाव में धमाकेदार जीत से राजनीतिक पारी की शुरुआत की थी। 63.94 प्रतिशत वोट हासिल किए। हालांकि, इसके बाद वोट प्रतिशतता का आंकड़ा गिरता रहा, लेकिन 2019 में अनुराग ठाकुर ने अपना पिछला रिकाॅर्ड तोड़कर 69.04 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। 2007 में अनुराग के पिता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल (Former Chief Minister Prem Kumar Dhumal) ने उप चुनाव जीता था। इसके एक साल बाद प्रेम कुमार धूमल के सीएम बनने के बाद फिर से 2008 में हमीरपुर संसदीय क्षेत्र (Hamirpur parliamentary constituency) में उपचुनाव हुआ था। इसके बाद ही पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेटे अनुराग ठाकुर की सियासी पारी शुरू हुई थी।
2005 में हमीरपुर के तत्कालीन सांसद सुरेश चंदेल एक स्टिंग ऑपरेशन (sting operation) की जद में आ गए थे, जब उन पर लोकसभा में प्रश्न पूछने को लेकर घूस लेने का आरोप लगा था। राजनीति में चंदेल का सूर्यास्त होने के बाद ही अनुराग ठाकुर पॉलिटिक्स में सक्रिय हुए। कांग्रेस से होते हुए 2022 में चंदेल ने भाजपा में दूसरी पारी की शुरुआत की है।
ये हैं अंकगणित…
2008 के बाद से हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में अनुराग ठाकुर का वर्चस्व रहा है। हालांकि, इस बार के चुनाव में एक तस्वीर बदली हुई है। खास बात ये है कि 2019 में अनुराग ठाकुर ने यहां से एक धमाकेदार जीत हासिल की थी। 68.81 प्रतिशत वोट लेकर कांग्रेस के रामलाल ठाकुर को महज 28.54 प्रतिशत पर समेट दिया था। 2008 के उपचुनाव में 63.94 प्रतिशत वोट लिए थे। पिता प्रेम कुमार धूमल उस समय राज्य के मुख्यमंत्री थे। कांग्रेस को 34.10 प्रतिशत वोट मिले थे। 2009 व 2014 में अनुराग के प्राप्त मतों का आंकड़ा क्रमश: 53.47 व 53.61 प्रतिशत रहा था। 2019 में सीधे ही 69.04 प्रतिशत का उछाल लिया था।
कांग्रेस को अनुराग ठाकुर के सामने 2008, 2009, 2014 व 2019 में क्रमश: 34.10, 43.06, 41. 83 व 28.63 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बेशक ही हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में खास कामयाबी हासिल नहीं की थी। लेकिन मौजूदा में कांग्रेस के तीन व दो निर्दलीय विधायकों को जोड़ लिया जाये तो आंकड़ा 11 का है, ये अलग बात है कि इनमे से तीन सीटों पर विधानसभा (Assembly Election) का उपचुनाव हो रहा है। कांगेस से आने वालों को भाजपा ने टिकट दिया है।
कांग्रेस का दम…
बेशक ही हमीरपुर संसदीय क्षेत्र का इतिहास कुछ भी रहा हो, लेकिन कांग्रेस भी दम दिखा रही है। कांग्रेस ने ऊना से ताल्लुक रखने वाले पूर्व विधायक सतपाल रायजादा को टिकट थमाया है। कांग्रेस के 6 बागी विधायकों में से चार का ताल्लुक हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से है। पार्टी ने कांग्रेस से आए पूर्व विधायकों को टिकट दिया है। हालांकि, यहां भाजपा (BJP) के किसी भी नेता ने बगावत का ऐलान नहीं किया है, लेकिन कांग्रेस (Congress) को यह उम्मीद है कि भाजपा की गुटबाजी का फायदा होगा। क्योंकि पार्टी ने कांग्रेस से एंट्री करने वालों को टिकट थमाया है।
भाजपा में भीतरघात की उम्मीद के सहारे कांग्रेस जीत का सपना देख रही है। दीगर है कि हमीरपुर संसदीय क्षेत्र (Hamirpur parliamentary constituency) में मंडी का धर्मपुर व कांगड़ा के देहरा व जसवां परागपुर क्षेत्र भी आते हैं। यानि, कांग्रेस से बगावत करने वाले विधायकों के अलावा देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह भी इसी हलके की जद में हैं। यदि निर्दलीय विधायकों का भी इस्तीफा मंजूर कर लिया जाता तो हमीरपुर संसदीय क्षेत्र में विधानसभा के उप चुनाव का आंकड़ा 9 में से 5 का होता।
@R1