शिमला, 24 अप्रैल : हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में 3 दिन तक चले सीपीएस मामले को लेकर बहस के बाद हाई कोर्ट ने अब 8 व 9 मई को सुनवाई तय की है। सरकार की तरफ से मामले में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं से पैरवी करने के लिए याचिका दायर की थी और बहस के लिए थोड़ा और समय मांगा गया था। जिस पर हाईकोर्ट ने दो सप्ताह का समय देते हुए मामले को लेकर 8 और 9 मई की तारीख तय की है। अब सरकार की तरफ से मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी पैरवी कर सकते हैं।
सरकार ने छ: सीपीएस बनाए हैं जिनको लेकर भाजपा के 12 विधायकों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। इन नियुक्तियों को असंवैधानिक बताया है और इन्हें रद्द करने के साथ-साथ विधायक की सदस्यता भी रद्द करने की कोर्ट से मांग की है। मामले को लेकर जानकारी देते हुए हाई कोर्ट के एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने बताया कि सीपीएस मामले में सरकार ने अपना पक्ष रखा है।
कोर्ट को बताया गया है कि सीपीएस की नियुक्ति कानूनी रूप से की गई है और सीपीएस को किसी प्रकार की फ़ाइल में फैसला लेने की अनुमति नहीं है बल्कि वे केवल सुझाव दे सकते है। क्योंकि हाई कोर्ट की जजमेंट में पूरे देश के लिए कानून बनेगा। इसलिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ताओं को पैरवी करने के लिए समय मांगा था, ताकि मामला और बेहतर तरीके से पेश किया जा सके।
वहीं निर्दलीय विधायकों का इस्तीफा स्वीकार न होने पर हाईकोर्ट में दायर याचिका पर आज सुनवाई होनी थी, लेकिन समय की कमी के चलते हाई कोर्ट ने अगले कल सुनने का फैसला लिया है। मामले में अगले कल सुनवाई होगी और विधान सभा सचिवालय कल इसको लेकर कोर्ट में जवाब दायर करेगा।@K1