शिमला से दिनेश कुंडलस की रिपोर्ट
शिमला (सुरक्षित) संसदीय सीट पर इस दफा रोचक घमासान होगा। कांग्रेस व भाजपा दोनों दलों ने यहां से युवा प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। 1962 में अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर अधिकतर कांग्रेस का कब्जा रहा है। 1977 में एमरजेंसी के बाद कांग्रेस के खिलाफ लहर में बालक राम कश्यप जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे।
उसके बाद 1999 में हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर कर्नल धनीराम शांडिल ने यहां कांग्रेस के उम्मीदवार को पटखनी दी थी।
2009 से अब तक भाजपा ने काउंटर अटैक करते हुए इस सीट को अपने कब्जे में किया। 2009 व 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा उम्मीदवार वीरेंद्र कश्यप ने लगातार दो बार इस सीट पर भगवा लहराया। 2019 में वीरेंद्र कश्यप के स्थान पर भाजपा ने पच्छाद के युवा विधायक सुरेश कश्यप को टिकट दिया, जिन्होंने तगड़े मार्जिन से जीत कर भाजपा का कब्जा बरकरार रखा।
1962 में पहली दफा इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस के स्व. वीरभद्र सिंह ने शानदार जीत हासिल की थी। उस वक्त यह सीट रिजर्व नहीं थी। इसे महासू के नाम से जाना जाता था। स्व. वीरभद्र सिंह ने 1967 में दोबारा यहां से जीत हासिल की। वह तत्कालीन केंद्र सरकार में नागरिक एवं उड्डयन राज्य मंत्री भी रहे। बाद में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई।
हिमाचल की ताजा खबरों के लिए ज्वाइन करें हमारा WhatsApp चैनल
1971 में यहां से प्रताप सिंह कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा सदस्य बने। उसके बाद यहां से कांग्रेस के स्व. कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी ने लगातार 6 बार कांग्रेस के टिकट पर जीत का छक्का लगाया। वह 1980, 1984, 1989, 1991, 1996 व 1998 में यहां से जीत कर लोकसभा पहुंचे। 1999 में भाजपा के साथ एलाइंस में यहां से हिमाचल विकास कांग्रेस के कर्नल धनीराम शांडिल ने कांग्रेस के वर्चस्व को तोड़ते हुए यह सीट कांग्रेस से छीन ली। बाद में शांडिल कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्होंने 2004 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता। मगर 1999 के बाद अब तक यह सीट भाजपा की झोली में जाती रही।
दो बार यहां से वीरेंद्र कश्यप जीते, वहीं निवर्तमान सांसद सुरेश कश्यप ने यहां बड़े मार्जिन से कांग्रेस उम्मीदवार को पटखनी दी थी। उन्हें लगभग 66.35% मत हासिल हुए थे। वहीं, कांग्रेस के धनीराम शांडिल को 30.50% मत हासिल हुए। इस दफा भाजपा ने अपने युवा तुर्क सुरेश कश्यप को फिर से मैदान में उतारा है। सुरेश कश्यप सिरमौर जिला के पच्छाद के रहने वाले हैं। वह भारतीय वायुसेना से रिटायर हुए हैं, एक बार विधायक रहे हैं।
प्रदेश भाजपा पार्टी के अध्यक्ष बनने का गौरव भी उन्हें हासिल हुआ। इस बार कांग्रेस ने सुरेश के मुकाबले में सोलन के कसौली से पहली बार विधायक बने स्व. केडी सुल्तानपुरी के पुत्र विनोद सुल्तानपुरी को टिकट दिया है। उनका ससुराल सिरमौर जिला के नौहराधार में है। 17 विधानसभा सीटों वाली इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस सरकार के 5 मंत्रियों के अलावा तीन सीपीएस, चार निगम, बोर्डों के चेयरमैन और विधानसभा उपाध्यक्ष कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के लिए मैदान में उतरेंगे। वहीं, भाजपा के दो मात्र विधायकों से उनका मुकाबला होगा।
जो भी हो, पिछले चुनाव की तुलना में इस बार शिमला संसदीय सीट को काफी हाॅट माना जा रहा है। ये पहली बार होगा कि कांग्रेस अपने दिग्गज दिवंगत वीरभद्र सिंह के बगैर भाजपा को चैलेंज देगी। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व चुनावी राजनीतिज्ञ डाॅ. राजीव बिंदल की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है। हालांकि, अभी चुनाव प्रचार में इतनी तेजी नहीं आई है, मगर जैसे-जैसे गर्मी बढती जाएगी, वैसे-वैसे शिमला, सोलन व सिरमौर जिलों में राजनीतिक तपिश भी बढ़ने लगेगी।
@A1