शिमला, 22 अप्रैल : सात बार के विधायक, पूर्व मंत्री व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर की कांग्रेस में वापसी का मामला लटक गया है। दो दिन पहले प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में पार्टी अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने गंगूराम मुसाफिर की कांग्रेस में वापसी का दावा किया था, लेकिन अब इस सियासी घटनाक्रम में नया पेंच फंस गया है। कांग्रेस हाईकमान ने गंगू राम मुसाफिर की घर वापसी पर यू टर्न ले लिया है।
दरअसल, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने साफ कर दिया है कि गंगूराम मुसाफिर की कांग्रेस में वापसी नहीं हुई है। रविवार देर शाम प्रदेश कांग्रेस संगठन महामंत्री रजनीश किमटा की ओर से जारी स्पष्टीकरण में बताया गया कि गंगूराम मुसाफिर की कांग्रेस में वापसी पर हाईकमान ने मुहर नहीं लगाई है। रजनीश किमटा के अनुसार अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य सांसद प्रदेश मामलों के प्रभारी राजीव शुक्ला ने बताया कि गंगूराम मुसाफिर का पार्टी में पुनः शामिल करने का मामला अभी कांग्रेस आलाकमान के पास लंबित पड़ा है और इस पर अभी अंतिम फैसला होना बाकी है।
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बता दें कि जिला सिरमौर के पच्छाद विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2022 में कांग्रेस का टिकट दयाल प्यारी को मिलने से नाराज गंगूराम मुसाफिर ने कांग्रेस छोड़कर निर्दलीय चुनाव लडा था। उनको 13 हजार से अधिक वोट मिले थे। लेकिन ना खुद जीत पाए ना दयाल प्यारी को जीतने दिया और ये सीट बीजेपी के खाते में चली गई। इस पर कांग्रेस ने अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए गंगूराम मुसाफिर को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
गंगूराम मुसाफिर 1982 में पहली बार निर्दलीय विधायक बने थे। इसके बाद उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर लगातार छह बार पच्छाद सीट से जीत हासिल की। गंगूराम मुसाफिर 1982 के बाद 1985, 1990, 1993, 1998, 2003 और 2007 में लगातार विधानसभा पहुंचे हैं।
बीते शनिवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में गंगूराम मुसाफिर की घर वापसी पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले गंगूराम मुसाफिर की वापसी बेहद अहम है। उनके पार्टी में वापस आने के चलते कांग्रेस को शिमला संसदीय क्षेत्र में मजबूती मिलेगी। आने वाले दिनों में कुछ अन्य निष्कासित लोगों की कांग्रेस में वापसी होगी जिसमें पार्टी को लोकसभा चुनाव में मजबूती मिलेगी।
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