नाहन (एमबीएम न्यूज) : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 450 करोड रूपये जारी करने के आदेश दिए है। ताकि रेणुका डैम प्रभावितों को भूमि अर्जन की एवज में मुआवजा राशि जारी की जा सकें। यह राशि हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड को जारी करने के आदेश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया टीएस ठाकुर की खंडपीठ ने जारी की। इस मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को तय की गई है। केंद्र सरकार को इस तारीख पर अपना रिस्पांस देने के आदेश भी दिए गए है।
एचपीपीसीएल के एडवोकेट जेएस अत्री ने बताया कि 15 अक्तूबर 2015 के आदेश के मुताबिक प्रभावितों को मुआवजा राशि जारी नहीं की जा रही। इस डैम से हिमाचल को 40 मैगावाट बिजली मिलनी है जबकि देश की राजधानी को पेयजल उपलब्ध होगा। अत्री ने डैम प्रभावितों का पक्ष रखते हुए कहा कि इस डैम के निर्माण को लेकर राजनीति हो रही है। हिमाचल मे कांग्रेस की सरकार है, केंद्र में भाजपा, वहीं दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है। रेणुका बांध परियोजना 1993 में शुरू हुई थी जब एनसीटी दिल्ली, यूपी व राजस्थान के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे। 2009 में इस परियोजना को नेशनल प्रोजेक्ट घोषित किया गया था। इसके निर्माण का 90 प्रतिशत खर्च केंद्र को वहन करना था। एनसीटी दिल्ली द्वारा 200 करोड रूपये जारी किए गए थे जबकि हरियाणा द्वारा 25 करोड दिए जा चुके है। इसके अलावा हिमाचल ने भी अपना 30 करोड का हिस्सा दिया है।
केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जब तक फोरेस्ट क्लीयरेंस का दूसरा चरण पूरा नहीं होता तब तक हिमाचल सरकार को राशि नहीं दी जा सकती है। इस पर एडवोकेट जेएस अत्री ने कहा कि यह तब तक संभव नहीं है जब तक हिमाचल सरकार केंद्रीय एंजेसी को 1090.02 करोड रूपये जमा नहीं करवाती है। अत्री ने कहा कि जब हिमाचल सरकार को केंद्र से धन नहीं मिलेगा तो दूसरे चरण की फोरेस्ट क्लीयरेंस के लिए कहां से राशि लाई जा सकती है।
अत्री के मुताबिक दिल्ली देश की राजधानी है बावजूद इसके केंद्र सरकार राष्ट्रीय योजनाओं की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी आदेश दिए कि केंद्र सरकार एक सप्ताह के भीतर द्वितीय चरण की फोरेस्ट क्लीयरेंस भी दें। साथ ही इस राशि को भी खारिज किया जाएं। सनद रहें कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता का संबंध नाहन से है। अत्री ने ही भांखडा-नंगल केस की 1996 में पैरवी की थी। इसी के आधार पर 2011 से हिमाचल को भांखडा-नंगल परियोजना से 7.19 प्रतिशत हिस्सा मिलना शुरू हुआ है। इसी के बूते राज्य सरकार को 50 से 100 करोड की आमदनी होती है।