शिमला, 30 मार्च: हिमाचल में लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिए है लेकिन कांग्रेस अभी भी प्रत्याशियों को लेकर कोई फैसला नहीं ले पा रही है। शिमला संसदीय क्षेत्र से प्रत्याशी के चयन को लेकर कांग्रेस में खासी माथापच्ची हुई है। कांग्रेस के नजरिए से ये संसदीय क्षेत्र सबसे सुरक्षित हो सकता है बशर्ते उम्मीदवार के चयन में गलती न की जाये। संसदीय क्षेत्र में सुक्खू सरकार के मंत्रियों की फौज तो मौजूद है ही साथ ही 17 में से 13 कांग्रेस के विधायक है। इसके अलावा एंटी इंकम्बेंसी भी एक फैक्टर हो सकता है।
शिमला सीट पर विधायक विनोद सुल्तानपुरी, अमित नंदा और दयाल प्यारी का नाम पैनल में रखा गया है। शिमला संसदीय क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप के गृह क्षेत्र से दयाल प्यारी का ताल्लुक है, वो भी कोली बिरादरी से ही आती है। 2022 में कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में उतारा था, लेकिन कांग्रेस के दिग्गज नेता गंगूराम मुसाफिर ने पार्टी से बगावत कर दी थी इस वजह से भाजपा को फायदा मिल गया था। दयाल प्यारी की पृष्ठभूमि भाजपा से जुडी रही है, सराहां में धक्का प्रकरण के बाद दयाल प्यारी ने भाजपा के शीर्ष नेता के खिलाफ जबरदस्त मोर्चा खोल दिया था, इसके बाद वो विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के टिकट को दौड़ से बाहर हो गई थी। कांग्रेस ने मुसाफिर को टिकट दिया था, दयाल प्यारी ने निर्दलीय चुनाव लड़कर संतोषजनक प्रदर्शन किया था। लेकिन विधानसभा की लाहलीज़ नहीं लांग पाई।
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सुल्तानपुरी के पिता दिवंगत केडी सुल्तानपुरी इस हल्के से 6 मर्तबा सांसद रहे। 2017 का विधानसभा चुनाव मामूली अंतर से हारने की वजह से सहानुभूति भी पैदा हुई थी, 2022 में विनोद सुल्तानपुरी पहली मर्तबा विधानसभा की दहलीज पार करने में सफल हो गए थे। सुल्तानपुरी भी कोली बिरादरी से ताल्लुक रखते है। चंडीगढ़ में चर्चा के बाद अब पांच अप्रैल को दिल्ली में स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक होगी। छह अप्रैल को सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक है। उम्मीद की जा रही है कि 6 अप्रैल को प्रत्याशी का ऐलान किया जा सकता है।
उधर, शिमला शहर से ताल्लुक रखने वाले अमित नन्दा वर्तमान में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष हैं। वह कांग्रेस पार्टी के जमीनी संगठनों एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस में भी लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं। अमित नन्दा पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार के कार्यकाल में गठित अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
बता दे कि 2019 का चुनाव भाजपा के सुरेश कश्यप ने बड़े अंतर् से जीता था, कश्यप को 66. 24 प्रतिशत मत हासिल हुए थे जबकि कांग्रेस के कर्नल धनीराम शांडिल को महज 30.45% मतों से संतोष करना पड़ा था।