शिमला, 8 मार्च : समूचे विश्व में 8 मार्च को महिला दिवस की गूंज सुनाई दे रही है। ऐसे में हिमाचल प्रदेश के टांडा मेडिकल काॅलेज (Tanda Medical College) में व्हील चेयर पर बैठ कर एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई कर रही निकिता चौधरी की चर्चा भी होनी चाहिए।
बुलंद हौसले से सरोबार रहने वाली टांडा मेडिकल काॅलेज की प्रशिक्षु निकिता दिव्यांगों के लिए भी जबरदस्त मिसाल है। लेकिन, दुख की बात ये है कि ऐसी होनहार व काबिल बेटी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सम्मान नहीं दिया गया। कांगड़ा के नगरोटा बगवां की रहने वाली निकिता चौधरी 2028 में हिमाचल की पहली ‘डाॅक्टर ऑन व्हील चेयर’ बन जाएगी।
दिसंबर 2023 में निकिता चौधरी उस समय लाइम लाइट में आई थी, जब वो राज्यपाल से मिलने शिमला पहुंची थी। निकिता चौधरी व्हील चेयर पर ही रहकर अपना तमाम काम करती है। व्हील चेयर पर ही पढ़ाई के लिए जाती है।
बता दें कि भारतीय चुनाव आयोग की दृष्टिबाधित ब्रांड एंबेस्डर व शिमला में सहायक प्रोफेसर मुस्कान नेगी को भी अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बुलाने की जहमत नहीं उठाई गई। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर उमंग फाउंडेशन द्वारा उच्च शिक्षित दिव्यांग बेटियों के लिए एक वेबिनार भी आयोजित किया गया। इस दौरान भी दिव्यांग बेटियों ने एक सुर में कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के किसी एजैंडे में भी हम नहीं हैं।
दिव्यांग होने की वजह से….
2022 में पहले ही प्रयास में नीट की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली निकिता चौधरी को टांडा मेडिकल कॉलेज ने दिव्यांगता की वजह से दाखिला देने से इंकार कर दिया था। टांडा मेडिकल काॅलेज के एक डॉक्टर ने निकिता को ये सलाह देने की कोशिश की कि वो आईएएस (IAS) बने।
निकिता ने खुद से ही सवाल किया था कि जब वो दाखिला लेने के लिए खुद के लिए ही न्याय नहीं हासिल कर पा रही है तो आईएएस बनकर कैसे लोगों के लिए न्याय करेगी। यही, टर्निंग प्वाइंट था, निकिता ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की, इसके बाद टांडा मेडिकल काॅलेज को निकिता को दाखिला देना पड़ा था।