हमीरपुर, 5 मार्च : केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को हिमालय की गोद में बसे हिमाचल प्रदेश को विश्व स्तरीय आधारभूत संरचना से जोड़ते हुए मंगलावर को हमीरपुर से 4,000 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश से 15 राष्ट्रीय राजमार्ग और एक रोपवे परियोजनाओं का भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, हिमाचल प्रदेश के लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह तथा विधायकों और अधिकारियों की उपस्थिति में लोकार्पण एवं शिलान्यास किया।
लोकार्पित हुई परियोजनाओं में देवरीघाट-प्रेमघाट पर ठियोग बाईपास का निर्माण, कलरुही खंड पर 196 मी लंबे सेतु का निर्माण और कांगड़ा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग 503 पर 225 मी लंबे ढलियारा पुल का निर्माण शामिल है। भूमि पूजन हुई परियोजनाओं में सड़क निर्माण परियोजनाएं, राष्ट्रीय राजमार्ग 503A पर बिरहू-लठियाणी तक 8 किमी लंबे 4-लेन मिसिंग लिंक और केबल स्टे पुल का निर्माण, 272 करोड़ रुपए की लागत से कुल्लू के मोहल से प्रसिद्ध बिजली महादेव मंदिर तक 2 किमी लंबे रोपवे का निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्ग 22 के परवाणु-सोलन खंड पर भूस्खलन रोकने के लिए 4 किमी लंबाई में स्लोप प्रोटेक्शन के कार्य, राष्ट्रीय राजमार्ग 5 पर 500 मीटर लंबी कृत्रिम सुरंग का निर्माण, राष्ट्रीय राजमार्ग 503 पर 410 मी लंबे 2-लेन आर युबी का निर्माण और सीआरआईएफ के माध्यम से 4 परियोजनाओं के कार्य हो रहे हैं।
इन परियोजनाओं के निर्माण से हमीरपुर से मंडी की दूरी 15 किमी कम होगी तथा टौणी देवी, अवाह देवी, सरकाघाट, धर्मपुर आदि क्षेत्रों की कनेक्टिविटी में सुधार होगा। दाडलाघाट सीमेंट फैक्टरी एवं एम्स बिलासपुर को 4-लेन कनेक्टिविटी मिलने से इस क्षेत्र की लॉजिस्टिक एवं स्वास्थ्य सेवाओं की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
गोविंद सागर झील पर केबल स्टेड ब्रिज से बिरहु से लठियाणी, हमीरपुर से ऊना की वर्तमान दूरी 21 किमी कम होगी। रोपवे के निर्माण से तीर्थस्थल बिजली महादेव की यात्रा वर्तमान में 2 घंटे 30 मिनट से घटकर लगभग 7 मिनट रह जाएगी एवं प्रतिदिन 36000 तीर्थ यात्रियों को ऑल वेदर कनेक्टिविटी की सुविधा प्रदान होगी। ढलान संरक्षण एवं टनल निर्माण के कार्य से भूस्खलन की समस्या से निजात मिलेगी एवं यात्रा सुरक्षित व सुगम होगी। विभिन्न राजमार्ग परियोजनाओं के निर्माण से पहाड़ी रास्तों की कठिन यात्रा सुगम होगी।
इसके अतिरिक्त समय और दूरी कम होने के फलस्वरूप ईंधन की बचत होगी एवं प्रदूषण में कमी आएगी। राज्य में पर्यटन का विकास होगा एवं रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।