शिमला, 01 मार्च : राज्य के सरकारी स्कूलों में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए शिक्षकों की भारी कमी खल रही है। दरअसल स्कूलों में पढ़ाई के अलावा बच्चे दूसरी तरह की खेल और मनोरंजन गतिविधियों में भाग नहीं ले पा रहे है। कारण यह है कि स्कूलों में इन गतिविधियों को करवाने के लिए शारीरिक शिक्षक ही नहीं है।
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों के 93, (PTI) के 2115 और कला अध्यापकों के 1567 पद खाली चल रहे हैं। प्रदेश सरकार का कहना है कि स्कूलों में इन पदों को भरने का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। उसके बाद ही विभाग इस दिशा में कोई कदम उठा सकता है। वहीं कला अध्यापकों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया विभाग की ओर से पूरी की जा रही है। इससे पहले भाजपा सरकार में भी शिक्षक लगातार स्कूलों में खाली पदों को उठाने की मांग करते रहे, लेकिन पांच सालों में इन पदों को नहीं भरा गया। इस कारण स्कूलों में अभी तक ये पद खाली चल रहे हैं। इसमें शिक्षक तो लगातार सेवानिवृत्त हो रहे हैं, लेकिन नई भर्तियां भी नहीं करवाई जा रही हैं।
बेरोजगार युवाओं को अब उम्मीद है कि कांग्रेस सरकार इन पदों को भरने के लिए मंजूरी देगी। इससे पहले कला अध्यापकों की भी यही स्थिति थी, लेकिन बाद में स्कूलों में कला अध्यापकों के पद भरने की प्रक्रिया शुरू की गई। शारीरिक शिक्षक अभी तक इंतजार ही कर रहे हैं। शारीरिक शिक्षक संघ का कहना है कि कला अध्यापकों के पदों को भरने के बाद अब नई सरकार शारीरिक शिक्षकों (Physical Teachers) के स्कूलों में खाली पड़े पदों को शीघ्र भरे।
शारीरिक शिक्षक 20 वर्षों से सरकार से स्कूलों में खाली पड़े पदों को भरने की गुहार लगा रहे हैं और अब बेरोजगार शारीरिक शिक्षक 47 वर्ष की उम्र पार कर चुके हैं। अधिकतर बेरोजगार शारीरिक शिक्षक अब हिमाचल प्रदेश कर्मचारी चयन आयोग (HPSSC) के माध्यम से परीक्षा में बैठने के लिए अधिक उम्र के कारण पात्र नहीं रहे हैं। ज्यादा उम्र के इन बेरोजगारों को भाजपा सरकार से एक ही आशा बची थी कि उन्हें बैचवाइज भर्ती (Batchwise) के आधार पर शीघ्र स्कूलों में नियुक्ति प्रदान की जाए, लेकिन यह मांग पूरी नहीं हो पाई। कई वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल ऐसे हैं, जहां शारीरिक शिक्षक विषय तो हैं, लेकिन उस विषय को पढ़ाने के लिए अध्यापक ही नहीं हैं।