शिमला, 27 फरवरी : राज्यसभा चुनाव में हार के बाद अब हर किसी के मन में यह जानने की जिज्ञासा है कि क्या हिमाचल में कांग्रेस की सरकार सुरक्षित है या नहीं। क्या भाजपा हिमाचल में ऑपरेशन लोटस की फ़िराक में है। ये सवाल, परिणाम घोषित होने के बाद तेजी से राजनीतिक हलकों में पूछे जा रहे है।
स्तब्ध करने वाली बात ये रही कि भाजपा ने एक-दो नहीं, बल्कि 9 विधायकों का समर्थन जुटा लिया। चूंकि, बुधवार को विधानसभा में बजट पारित होना है। अब ये विधायक 28 फरवरी को विधानसभा में नहीं पहुंचते हैं तो उनकी सदस्यता पर भी तलवार लटक जाएगी। क्योंकि पार्टी ने व्हिप जारी किया हुआ है। जानकर बताते है कि तकनीकी तौर पर सरकार अल्पमत में नहीं है। यदि 6 विधायकों की सदस्यता रद्द होती है तो उस सूरत में 62 विधायकों के सदन में कांग्रेस को 32 की आवश्यकता होगी। राज्यसभा के चुनाव में कांग्रेस को 34 वोट पड़े है। देर रात तक मुख्यमंत्री सहित कानूनविद मनु सिंघवी भी नियमों को खंगाल रहे थे। भाजपा जहां अविश्वास प्रस्ताव लाने की कोशिश कर सकती है तो वहीं कोंग्रस ध्वनिमत से बजट पारित करवा सकती है।
राज्यसभा की वोटिंग के बाद विधानसभा में लंच के बाद सदन की कार्यवाही में 6 कांग्रेसी विधायकों समेत निर्दलीय विधायक भी नजर नहीं आ रहे थे। चूंकि क्रॉस वोटिंग की जानकारी राष्ट्रीय मीडिया में पहुंची। यहां से एक बात साफ हो गई थी कि भाजपा राज्यसभा का चुनाव जीतने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त है। माना जा रहा है कि राज्यसभा की क्रॉस वोटिंग के बावजूद कांग्रेस विधायकों को निष्कासित करने में हड़बड़ाहट नहीं दिखाएगी, ताकि उम्मीद बरकरार रहे।
दरअसल, समूचे घटनाक्रम में कांग्रेस ने एक के बाद एक कई गलतियां की हैं। राज्यसभा के चुनाव की परंपरा है कि ये सर्वसम्मति से ही होता रहा है। इस बार भाजपा ने हर्ष महाजन को प्रत्याशी बनाया। हालांकि, हर्ष महाजन निर्वाचन की राजनीति से लंबे अरसे से बाहर रहे हैं, लेकिन राजनीति में चाणक्य माने जाते रहे हैं। कांग्रेस से भाजपा में एंट्री हुई थी, लेकिन कांग्रेस के रुष्ट विधायकों से संपर्क में रहे होंगे। कांग्रेस को हर्ष महाजन का नामांकन दाखिल होते ही सचेत हो जाना चाहिए था।
इसके बाद सुधीर शर्मा व राजेंद्र राणा के बगावती तेवर भी अनदेखे कर दिए गए। राजेंद्र राणा ने तो खुलकर ये बोल दिया था कि वो भाजपा में जा सकते हैं। सुधीर ने भी वीडियो बाइट में साफ-साफ संकेत दिए थे। इसके बावजूद सरकार के नुमाइंदों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
सरकार होते हुए भी भाजपा शिमला से कांग्रेस के विधायकों को बेहद ही आसानी से पंचकूला पहुंचाने में सफल हो गई, लेकिन इसकी भनक तक सरकार को नहीं लगी।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को शाम 4 बजे के आसपास इस बात की जानकारी मिल गई थी कि विधायक पंचकुला पहुंच गए हैं। विधायकों को पंचकूला में लोक निर्माण विभाग के स्टेट गेस्ट हाउस में ले जाया गया। बताया जा रहा है कि इसके बाद 9 विधायकों को होटल रैड बिशप में शिफ्ट किया गया।
सवाल ये भी है कि भाजपा के लिए समूचे राजनीतिक घटनाक्रम का चाणक्य कौन बना? पर्ची से चुनाव जीते हर्ष महाजन को तो रणनीतिकार माना जाता है, लेकिन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल भी कम नहीं आंके जा सकते। मंगलवार को सुबह से हर्ष महाजन व डाॅ. राजीव बिंदल नजर नहीं आए। चुनाव का परिणाम घोषित होने के बाद हर्ष महाजन व डाॅ. बिंदल एक साथ मीडिया के सामने पहुंचे।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की मौजूदगी में डाॅ. राजीव बिंदल ने ही मीडिया से बात की। ऐसी भी संभावना जाहिर की जा रही है कि भाजपा ने डाॅ. राजीव बिंदल को प्रदेश अध्यक्ष की कमान ही मिशन लोटस को अमली जामा पहनाने के लिए दी थी।
क्या है व्हिप….
व्हिप राजनीतिक दल का एक अधिकार होता है, जिसकी कार्य विधायिका में पार्टी अनुशासन सुनिश्चित करना होता है। इसका मतलब ये सुनिश्चित करना है कि पार्टी के सदस्य अपनी व्यक्तिगत विचारधारा या घटकों की इच्छा की बजाय पार्टी मंच के अनुसार मतदान करें। साधारण शब्दों में व्हिप का उद्देश्य ये सुनिश्चित करना होता है कि जो विधायक एक राजनीतिक दल के सदस्य हैं, वो पार्टी नेतृत्व के आदेशानुसार मतदान करें। बता दें कि राज्यसभा की सीट भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पूरा होने के बाद रिक्त हो रही है। नड्डा का कार्यकाल 2 अप्रैल को पूरा होना है।