शिमला, 24 फरवरी : हिमाचल के कांगड़ा जिला के पौंग डैम “लेक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी” में एक भी टाइगर नही है। सेंचुरी में पर्यटकों की तादात में काफी कमी आई है। पिछले तीन वर्षों में विभिन्न गतिविधियों से वन विभाग को 13 लाख 34 हजार 640 रुपए की आय प्राप्त हुई है। इस दौरान 8 हजार 882 पर्यटकों ने पोंग डैम लेक वाइल्ड लाइफ सेंचुरी का भ्रमण किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक होशियार सिंह के मूल, भवानी सिंह पठानिया और विक्रम सिंह के प्रतिपूरक के सवाल के जवाब में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पौंग डैम एरिया के वेटलैंड में भी अब खेती-बाड़ी हो सकेगी। सरकार ने इस साल से इसकी इजाजत दे दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पौंग डैम एरिया को इको सेंसिटिव जोन को लेकर अधिसूचना जारी नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि जब इसे अधिसूचित किया जाएगा, इससे पहले संबंधित विधानसभा के विधायकों से सुझाव लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अभी वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी एरिया से कुछ हिस्से को हटाने के प्रयास कर रही है, लेकिन इसके नियम काफी कड़े हैं। उन्होंने कहा कि पहले वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी की अधिसूचना जारी होगी और उसके बाद इको सेंसिटिव जोन बनाने का कार्य किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यहां पर पर्यटकों की संख्या में कमी आई है। इसका कारण बोटिंग का लाइसेंस पिछले लंबे समय से जारी न होना है। उन्होंने कहा कि पर्यटन विभाग को आदेश जारी कर दिए गए हैं कि लाइसेंस जारी किए जाए। उन्होंने कहा कि पौंग डैम एरिया में कोई टाइगर नहीं है। पौंग डैम में वित्त वर्ष 2021-22 में 881680 रुपए और वर्ष 2022-23 में 216810 और वर्ष 2023-24 में इस साल 15 जनवरी तक 236150 रुपए की आय टिकट विंडो, बोटिंग और रेस्ट हाउस से हुई है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में 4956, वर्ष 2022-23 में 2198 और वर्ष 2023-24 में अब तक 1728 सैलानी यहां आए हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021-22 में 110 प्रजाति के 110309 पक्षी, वर्ष 2022-23 में 108 प्रजाति के 117022 और वर्ष 2023-23 में अब तक 86 प्रजाति के 83555 पक्षी यहां पर आए हैं।
इससे पहले, विधायक होशियार सिंह ने सवाल किया कि पौंग डैम के सेंचुरी एरिया में कितने टाइगर है। साथ ही पूछा कि इस वाइल्ड लाइफ सेंचुरी एरिया से कितनी आय हुई है। कितने पेड़ पौधे इसके दायरे में है। उन्होंने इको सेंसिटिव जोन के लिए तैयार किए गए ड्राफ्ट पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यहां पर हर साल सैलानियों की संख्या भी घट रही है और पक्षियों की भी। उन्होंने कहा कि वहां पर करोड़ों रुपए कर्मचारियों को वेतन के रूप में दिए जा रहे हैं, जबकि आय नाममात्र हुई है।