मंडी, 22 फरवरी : हिमाचल प्रदेश से “हिम साधना” से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया (Viral Video) में वायरल हो रहा है। इसमें एक “साधु” भारी बर्फ़बारी (Snowfall) के बीच तप (religious austerity) करते नजर आ रहे हैं। दरअसल, वीडियो को लेकर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। एक के मुताबिक ये सराज घाटी (Saraj Valley) का है, जबकि दूसरे के मुताबिक ये चूड़धार (Churdhar) का है। तीसरा दावा यह है कि वीडियो AI जनरेटेड है।
एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क ने वायरल वीडियो को लेकर गहराई से पड़ताल की। इसके बाद जो सामने आया वो न केवल अचंभित करने वाला था, बल्कि ” हिम साधना” के साक्षात दर्शन भी है। चूडधार चोटी पर ब्रह्मचारी स्वामी कमलानंद जी ने इस दावे को ख़ारिज कर दिया कि ये वीडियो चोटी का है। इसके बाद हमारा रुख सराज घाटी की तरफ हुआ तो फैक्ट चेक (Fact Check) में “हिम साधना” (Him Sadhna) में लीन बाबा के सहपाठी से संपर्क हुआ।
तत्पश्चात “हिम साधना” कर रहे बाबा के शिष्य संत सावरणी नाथ जी से सम्पर्क हुआ, फिर जो उन्होंने जो बताया वो अचंभित करने वाला था। अधिकांश को ऐसा लगता है कि ये स्टूडियो में शूट की गई क्लिप है, लेकिन सच्चाई ये हैं कि ये योग साधना की एक दिव्य झलक है।
विशेष पेशकश में हम आपको आज हिमालय में जन्मे एक हठ योगी से जुड़ी जानकारी भी देने जा रहे हैं :
पहले आप वायरल वीडियो की सच्चाई जान लीजिए, लगभग एक माह से साधना अभ्यास कर रहे “ईशपुत्र” के साथ सराज घाटी के पहाड़ों पर दो शिष्य भी योग की दीक्षा लेने गए थे। इसमें से एक शिष्य सावरणी नाथ जी से एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क की लंबी बात हुई है। उनके मुताबिक ईशपुत्र की साधना के दौरान हिमपात शुरू हो गया साथ ही बर्फीला तूफ़ान (Ice storm) भी चलने लगा। ऐसे में वो घबरा कर ध्यान में लीन हिम साधना (Him Sadhna) में लीन “ईशपुत्र” के पास पहुंचे। वो बर्फीला तूफ़ान चलने के बावजूद “अटल” रहे। जैसे,वो जानते थे कि कितनी देर में तूफ़ान शांत हो जाएगा।
तप में लीन साधु का नाम महंत सत्येंद्र नाथ जी महाराज है। वो बाल्यकाल से ही हठयोग (hatha yoga) के लिए जाने जाते हैं। वो पानी, तेज हवा, पहाड़ों की चोटी और बर्फबारी के बीच ध्यान योग (meditation yoga) लगाने कब और कहां चले जाएंगे, इसकी जानकारी किसी को नहीं होती है। महंत सत्येंद्र नाथ जी हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिला के लारजी गांव (Larji) के रहने वाले हैं। चूंकि वो मठाधीश है लिहाजा दो शिष्य हर दम साथ रहते हैं।
सत्येन्द्र नाथ जी को महज 12 साल की उम्र में गुरु की पदवी मिल गई थी। महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी प्रकृति में कहीं भी योग साधना कर लेते हैं। झरने के तेज पानी के बीचों बीच खड़े हो कर साधना करते हैं। महंत सत्येंद्र नाथ अपने योग और तप की वजह से खड़े पहाड़ और ऊंचे पेड़ों पर आसानी से चढ़ जाते हैं। उन्होंने 38 अलग-अलग गुरुओं से योग की दीक्षा ली है। बाल्यावस्था (Childhood) से ही साधना मार्ग का ईशपुत्र अभ्यास कर रहे हैं। कॉलेज की पढ़ाई पूरी कर ईशपुत्र ने ‘कौलान्तक पीठ’ (Kaulantak Peeth Himalaya) के समस्त कार्यों को पूरी तरह से संभाल लिया।
ईशपुत्र के शिष्य का यह भी कहना था कि वीडियो दूसरे शिष्य राहुल ने इस महीने के शुरू में बनाया था। क्योंकि दुनिया भर में फैले शिष्यों तक ईशपुत्र के संदेशों को पहुंचाने का यही सबसे सरल और आधुनिक माध्यम है। वीडियो को बनाने के पीछे मकसद नई पीढ़ी के युवाओं को योग, साधना से परिचित करवाना और योग ध्यान के लिए प्रेरित करना भी होता है।
बाबा रामदेव को चुनौती के बारे में सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ईशपुत्र बेहद सरल स्वभाव के है, देश के नामी टीवी चैनल के पत्रकार के प्रश्न का सरल जवाब दिया था। उन्होंने बताया कि 2000 के बाद से “ईशपुत्र” का हठ योग चर्चा में आया है।
बचपन से ही बर्फ में साधना…
योगी सत्येंद्र नाथ (Yogi Satyendra Nath) बचपन से ही बर्फ में साधना का अभ्यास कर रहे हैं, इसलिए उनके लिए ये सरल हैं, लेकिन ऐसे पहाड़ों पर जा कर बैठना जानलेवा भी साबित हो सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं की योग में अद्भुत शक्ति होती है, शरीर को बिना अभ्यास बर्फ के संपर्क में लाना बेहद खतरनाक साबित हो सकता है, यहां तक की जान का खतरा भी होता है।
क्यों की जाती है हिम में साधना….
हिमालय की सिद्ध परंपरा में एक ग्रन्थ है ‘श्वेत मेरु कल्प’ जो हिम और पर्वतों पर साधना करने की विधियां बताता है। हिमालय के योगियों के लिए हिम एकरूपता, सत्य और शांति का प्रतीक होता है। अपनी कुंडलिनी ऊर्जा को जागृत कर जटिल हिमालय पर साधना की जाती है. इस ग्रन्थ में कब कहां कैसे? कितने समय? किस योग क्रिया द्वारा योगी को ध्यान करना चाहिए इसका विवरण दिया गया है। प्राणायाम को साधने और सूर्य नाड़ी पर ध्यान करने से साथ ही, अग्नि बीज मंत्र के अभ्यास से योगी कड़कड़ाती ठंड को सहने का अभ्यास करते हैं।
(जैसा महासिद्ध “ईशपुत्र” के शिष्य में एमबीएम न्यूज़ नेटवर्क को बताया)