कुल्लू, 22 फरवरी : माउंटेन गोट एक्सपीडिशन सीजन-11 (Mountain Goat Expedition Season 11) तीन दिन स्पीति घाटी में रही। करीब 200 के करीब कर राइडर्स ने तीन दिनों तक स्पीति के विभिन्न पर्यटक स्थलों का भ्रमण किया। ताबो, काजा, फलदर मैदान, रंगरिक, मुरंग, चिचिम ब्रिज, कीह, लांगचा आदि स्थलों से होती हुई एक्सपीडिशन काजा लौटी।
एक्सपीडिशन को एडीसी राहुल जैन ने वीरवार को स्पीति से रामपुर के लिए हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। विधायक रवि ठाकुर ने अपने संदेश में कहा कि माउंटेन गोट एक्सपीडिशन इस साल 80 से अधिक गाड़ियों के साथ स्पीति पहुंचा है।
स्पीति के पर्यटन को और मजबूत करने की दिशा में इस तहर की एक्सपीडिशन बहुत मददगार साबित हो रहा है। पिछले कुछ सालों में विंटर टूरिज्म (winter tourism) स्पीति में निखर रहा है। प्रदेश सरकार टूरिज्म को विकसित करने के लिए आधारभूत ढांचा तैयार कर रही है। इस साल के बजट में काजा और चंद्रताल (Chandertal) को टूरिज्म के हिसाब से और विकसित करने की योजना बनाई गई है।
एडीसी राहुल जैन ने कहा कि स्पीति में एक साथ 200 से कार राइडर्स के आने से यहां के लोगों को रोजगार मिला है वहीं स्पीति के पर्यटन स्थलों को बढ़ावा भी मिला है।
सर्दियों में होने वाले एक्सपीडिशन से अब स्पीति में साल भर पर्यटन का कारोबार हो रहा है। कृषि के साथ पर्यटन लोगों की आय का दूसरा बड़ा स्त्रोत बन कर उभर रहा है।
माउंटेन गोट के संस्थापक सूरज ने बताया कि सीजन-11 बहुत ही बेतरीन रहा है। जब से स्पीति घाटी में पहुंचे है बर्फबारी निंरतर हो रही है। हमारे एक्सीपीडिशन में देश के कौने कौने से और नेपाल से पर्यटक आए हुए है। अपनी गाड़ियों के साथ बर्फ में गाड़ी चलाना आसान काम नहीं है। स्पीति में घर जैसा अहसास हुआ है। हर साल हमारा परिवार बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार, पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन काजा का सहयोग हमें निरंतर मिलता है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का हम आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने हमें काफी प्रोत्साहित किया है। माउंटेन गोट एक्सपीडिशन की शुरुआत 2015 में सूरज तायल और शाश्वत गुप्ता की जोड़ी ने की थी। जहां सूरज ने ऑकलैंड यूनिवर्सिटी, न्यूजीलैंड से पर्यटन प्रबंधन में विशेषज्ञता हासिल की है, वहीं शाश्वत ने कार्डिफ यूनिवर्सिटी, यूनाइटेड किंगडम से मार्केटिंग में मास्टर डिग्री हासिल की है। तब से लेकर इस मोटर रैली का आयोजन किया जाता रहा है, जिनमें रोमांच के साथ-साथ खतरा भी रहता है, जिसके लिए सभी प्रतिभागियों को बेहतर तैयारी की गई है।
आयोजनकर्ताओं ने बताया कि आमतौर पर ऐसी रैली मई-जून के महीने में आयोजित की जाती है परंतु इस रैली का आयोजन फरवरी माह में किया गया है ताकि बर्फबारी का आनंद भी प्रतिभागी ले सकें। इसलिए प्रतिभागियों को सुरक्षा का अधिक ध्यान रखा गया और साथ ही अच्छी किट, पर्याप्त मात्रा में खाने का सामान साथ रखना है। आठ दिवसीय रैली शिमला से रवाना हुई थी जिससे प्रदेश में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।