शिमला, 19 फरवरी : हिमाचल के स्कूलों में बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। विधानसभा में सुंदरनगर से विधायक राकेश जम्वाल द्वारा सदन में पूछे गए सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने पिछले तीन साल के आंकड़े रखे हैं। इन आंकडों में 7 मामले ऐसे हैं, जो सामने आए हैं। उन पर हालांकि विभाग की ओर से कार्रवाई की गई है, लेकिन हैरानी इस बात कि है कि इन सभी मामलों में टीचर द्वारा ही बच्चों का यौन शोषण (Sexual Exploitation) किया गया है।
शिक्षा विभाग के पास जब इन मामलों की शिकायत पहुंची तो इन शिक्षकों पर विभागीय कार्रवाई की गई। इसमें दो ऐसे मामले हैं, जिसमें शिक्षक ये मानने को ही तैयार नहीं है कि उन्होंने ऐसे कारनामों को अंजाम दिया है। सदन में रखी गई जानकारी के मुताबिक इसमें से एक शिक्षक को सरकारी सेवा से बर्खास्त भी कर दिया गया था।
शिक्षा विभाग द्वारा की गई इस कार्रवाई को उक्त शिक्षक ने न्यायालय में चैलेंज किया, कोर्ट के आदेशों के बाद शिक्षा विभाग में उसे द्वारा नियुक्त किया गया। हालांकि विभाग ने दंडात्मक कार्रवाई अमल में लाई जिसमें शिक्षक को पद के प्रारंभिक वेतनमान पर स्थापित कर दिया गया।
इस मामले में कोर्ट द्वारा अध्यापक को बरी करने के बाद शिक्षा निदेशालय (Directorate of Education) द्वारा भी अध्यापक को उनके वेतन मामले में पुनर्विचार संबंधी आदेश पारित कर दिए गए और यह मामला अभी विचाराधीन है। एक अन्य मामले में पोक्सो अधिनियम की धारा-7 के तहत प्राथमिक की दर्ज करवाई गई है।
मामले की जांच के लिए 16 फरवरी 2023 को जांच अधिकारी और प्रस्तुतकर्ता अधिकारी नियुक्त किए गए परंतु विभागीय जांच के दौरान आरोप साबित नहीं हुए। इसके बावजूद भी की सजा के आदेश उक्त कर्मचारी के खिलाफ दिए गए। शेष-चार शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई चल रही है। प्रदेश में ऐसे मामले सामने आने के बाद अभिभावक भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता में हैं।
मामले निपटाने को बनी है कमेटियां….
स्कूलों में ऐसे मामलों से निपटने के लिए हालांकि शिक्षा विभाग भी सजग है। इसके लिए विभाग की ओर से मॉनिटरिंग की जा रही है और शिक्षण संस्थानों में खंड स्तर, जिला स्तर कमेटी का गठित की गई है। इसके साथ ही प्रदेश के सभी शिक्षण संस्थानों में यो मामलों की शिकायत सुझाव एवं शिकायत पेटियां स्थापित की गई है।
इसके साथ ही शिक्षकों को पोस्को अधिनियम से संबंधित जानकारी एससीईआरटी (SCERT) सोलन द्वारा आयोजित प्रशिक्षकों में भाग लेने के लिए प्रतिनिधित्व किया जाता है। स्कूल परिसर में पोस्को एक्ट (Pocso Act) के सावधानियों से संबंधित पोस्टर चार्ट को प्रमुख स्थान दीवारों पर लगाया जाता है और साथ ही इस अधिनियम के बारे में जागरूकता के लिए पीटीए और एसएमसी की बैठक करवाई जाती है।