शिमला, 16 फरवरी : हिमाचल प्रदेश की आर्थिक विकास दर इस साल 7 फीसदी से ऊपर रहने का अनुमान है। राज्य विधानसभा में शुक्रवार को प्रदेश सरकार की ओर से पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक वर्ष 2023-24 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 2.07 लाख करोड़ अनुमानित किया गया है। वहीं, प्रति व्यक्ति आय 2,35,199 रहना अनुमानित है।
विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में इस वित्त वर्ष की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट रखी। इस रिपोर्ट में सामने आया है कि विकास दर 7.1 फीसदी होगी, जोकि पिछले वित्त वर्ष की 6.9 फीसदी की तुलना में अधिक है। प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और बाढ़ के बाद भी विकास का पहिया थमा नहीं और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अधिकांश क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था आगे बढ़ी। पर्यटन राज्य की बात की जाए तो कोरोना काल से पहले पर्यटकों की संख्या के आंकड़े को छुआ।
प्रदेश में बहुआयामी गरीबी दर 2013-14 में 10.14 फीसदी थी, जोकि घटकर पिछले वर्ष तक 3.88 फीसदी रह गई है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पर आधारित गरीबी सूचकांक के अनुसार प्रदेश में हेड काउंट गरीबी दर घट रही है।
रोजगार के मामले में पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और अखिल भारतीय स्तर से हिमाचल आगे है।
हिमाचल 61.3, उत्तराखंड 42.5, पंजाब 42.3, हरियाणा 36.3 और अखिल भारतीय स्तर पर 42.4 फीसदी है। सभी उम्र के लिए हिमाचल प्रदेश में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 58.6 फीसदी रहा, जबकि उत्तराखंड में 40.6, पंजाब में 39.7, हरियाणा में 34.1 और अखिल भारतीय अनुपात 41.1 फीसदी है। प्रदेश में 54.8 फीसदी महिलाएं पड़ोसी राज्यों व अखिल भारतीय स्तर के 27.0 की तुलना में आर्थिक गतिविधियों में अधिक सक्रिय रूप से भाग ले रही हैं। बेरोजगारी की बात की जाए तो प्रदेश में 4.4 फीसदी है तो उत्तराखंड में 4.5 और पंजाब व हरियाणा में 6.1 है।
प्रदेश में कोरोना काल से पहले पर्यटकों की संख्या 1.60 करोड़ थी और उसके बाद पर्यटकों की संख्या निचले स्तर पर पहुंच गई थी। लेकिन पिछले साल 1.51 करोड़ की तुलना में अभी तक 1.60 करोड़ से अधिक पर्यटक प्रदेश की सैरगाहों में पहुंच चुके हैं।