शिमला (एमबीएम न्यूज़) : राजधानी में चोरों व लुटेरों से ज्यादा बंदरों का खौफ है। हालत ऐसी है कि सड़क या रास्ते पर बंदरों का झुण्ड आ जाने से राहगीरों व दौपहिया वाहनों का गुजरना मुश्किल हो जाता है। ये बंदर राह चलते किसी पर भी हमला करते हैं और छीना छपटी को अंजाम देते हैं। इसी प्रक्रिया में यदि कोई जख्मी भी हो जाता है, तो उन्हें कोई परवाह नहीं।
कल शाम को संजौली गुरूद्वारे के पास एक निर्माणाधीन भवन की चौथी मंजिल पर बंदरों का झुण्ड आ जाने से यहां काम कर रहे एक मजदूर ने उनके डर से छलांग लगा दी और वह गंभीर रूप से घायल हो गया। उसका आईजीएमसी में उपचार चल रहा है तथा हालत गंभीर बताई जा रही है। पिछले साल लोअर बाजार में एक भवन की तीसरी मंजिल से एक महिला बंदर के डर से गिरकर मारी गई थी। शिमला में आए दिन बंदरों द्वारा लोगों को घायल करने के मामले सामने आते रहते हैं।
इन लुटेरे बंदरों द्वारा जख्मी किए जाने पर पीडि़त को स्वयं अस्पताल जाकर टीके लगाने पड़ते हैं। लेकिन तसल्ली है कि बंदरों का हमला दिन को ही होता है। रात को या यूं कहिए कि इनकी क्रिया सूरज उदय के साथ ही शुरू हो जाती है और आक्रमणकारी बंदर अपने शिकार पर निकल पड़ते हैं। यदि इन बंदर रूपी लुटेरों को मौका मिल जाए तो घरों में भी घुस जाते हैं औरघर को कभी भी तहस-नहस कर सकते हैं, यदि इन्हें अपनी मनपसंद की चीज न मिले।
इन लुटेरों को शांति व्यवस्था बनाए जाने वाली किसी भी एजेंसी का कोई भय नहीं और ना ही पुलिस इनका कोई बिगाड़ सकती है और ना ही इन पर नियंत्रण कर सकती है। पुलिस के आमने-सामने ये लुटेरे किसी को भी लूट लेते हैं और पुलिस इनको पकड़ने में सदैव ही असफल रही है और अपने आपको विवश मानती है।
इस बात का संतोष है कि ये लुटेरे खाने-पीने की चीजें ही लूटते हैं क्योंकि यह हमेशा भूख के सताए हुए होते हैं अपने शिकार की ताक में रहते हैं। ये लुटेरे कोई और नहीं बल्कि हनुमान जी की छैना-मैना हैं। जिन्होंने राबण की लंका को भी लूटा था और ये लूटने के काम में माहिर हैं।
माल रोड पर या कहीं और आप या बच्चे विशेषकर पर्यटक व महिलाएं खुलेआम कोई खाने की वस्तु खाते इनको दिख जाएं, तो इनकी नजर गिद्व की तरह काम करती है और आपको पता भी नहीं चलेगा कि ये बंदर लुटेरे कहां से टपक पड़े और आपसे खाने की चीज छीन के लेके आसपास के किसी उंचे स्थान पर चले गए ।
ये लुटेरे बंदर आईसक्रीम के बहुत ही शौकीन हैं। यदि इनको माल रोड, रिज या किसी भी सावर्जनिक स्थान पर आईसक्रीम खाते पर्यटक या बच्चे नजर आ गए, तो सड़क पर भी इनके सामने आकर उन्हें घेर लेंगे और आईसक्रीम या खाने की वस्तु फेंकने पर मजबूर कर देंगे। यदि आप तुरंत नहीं फेंकेंगे तो इनको छीनने की जरूरत भी करते हैं।
शहर में रोज कहीं न कहीं बंदरों द्वारा बच्चों, महिलाओं तथा निहत्थे पर्यटकों से बंदरों द्वारा छीना झपटी होती रहती है। ये नहीं कि प्रशासन इन लुटेरों की गतिविधियों से वाकिफ नहीं है या जागरूक नहीं है। प्रशासन की ओर से या वन विभाग की ओर से जो भी वन पड़ता है, किया जा रहा है। लेकिन ऐसा लगता है, मर्ज बढ़ता गया, ज्यूं-ज्यूं दुआ की, वाली स्थिति हो गई है और प्रशासन व वन विभाग तथा शांति व्यवस्था बनाने के लिए जिम्मेदार एजेंसियां भी अपने हाथ खड़े कर चुके हैं।