रोनहाट, 20 मई : बेज़ुबान पशु कोई वस्तु नहीं है बल्कि जीवित जीव है, जो हमारी करुणा, सम्मान, दोस्ती और समर्थन के योग्य है। सड़क किनारे घायल अवस्था में पड़े बेज़ुबान लंगूर को एक नया जीवन दे कर युवक ने इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए एक बेहतरीन मिसाल पेश की है।
गंगटोली गांव के रहने वाला कपिल देव पशुपालन विभाग में बतौर फार्मासिस्ट अपनी सेवाएं दे रहे है। कुछ रोज़ पहले उन्हें सड़क किनारे पड़े हुए दो लंगूर दिखाई दिए। करीब जाकर जब देखा तो एक मादा लंगूर और उसका बच्चा काफ़ी ज़्यादा ज़ख़्मी हालत में थे। मादा लंगूर की सांसे चल रही थी, जबकि उसके बच्चे की मौत हो चुकी थी।
कपिल ने बिना देर किए सड़क किनारे ही मादा लंगूर को प्राथमिक उपचार देकर गाड़ी में डालकर अपने घर पर लाया और वहां उसका इलाज का चला हुआ है। हादसे के बाद से लगातार 3-4 दिनों तक अचेत अवस्था में पड़े लंगूर की हालत में अब काफी सुधार देखने को मिला है। मादा लंगूर और उसके मृत बच्चे के सिर पर लगे गहरी चोट के निशान से इस बात का अंदाज़ा भी आसानी से लगाया जा सकता है की उनकी ये हालात किसी कार या ट्रक की टक्कर से हुई है।
शिलाई के कपिल ने एक बेज़ुबान को जीवनदान देकर इंसानियत के नाम पर एक बेहतरीन मिसाल पेश है। समाज के उस वर्ग को भी कपिल जैसे युवाओं से सबक लेने की ज़रूरत है जो वाहन चलाते समय ये भूल जाते है की उनकी गाड़ी के लिए बनाई गई सड़क पर पहला हक़ बेज़ुबान जानवरों का है। जिन्हें जंगल में घर और सड़कें बनाकर हम इंसानों ने बेघर कर दिया है।
उम्मीद है कि युवक का मानवीय चेहरा समाज के हर वर्ग के लिए प्रेरणा बनेगा और कपिल की तरह अन्य लोग भी बेज़ुबान जानवरों के प्रति करुणा का भाव अपनाकर इंसानियत को जिंदा रखेंगे।