शिमला, 12 फरवरी : जुन्गा रियासत के प्रमुख एवं प्राचीन मंदिर पुजारली के देवता जुन्गा बीते 15 जनवरी से अपने क्षेत्र.के भ्रमण पर है। इस दौरान करीब 27 स्थानों पर जागरा, होम पजावज व अन्य देव कार्य निपटाने का लक्ष्य रखा गया है। मंदिर समिति के सदस्य दुर्गा सिंह ठाकुर ने बताया कि देवता जुन्गा पुजारली द्वारा अपनी यात्रा ग्राम भोग , बिलास आन्नदपुर, तारा माता मंदिर से होते हुए गनेड़ी, हनुमान मंदिर खुशाला, रामपुरी, कंडा, घनाहटी , जुब्बड़ हटटी, भारती, दनेहरी, ममलीग, जिला सोलन के कंडा हुडग, धर्मपुर के उपरांत अपने मूल स्थान पुजारली पहूंचेगें।
उन्होने बताया कि भ्रमण सम्पन्न होने के उपरांत देव जुन्गा को अपने मंदिर में प्रवेश करवाया जाएगा, जिसे भढातर कहा जाता है। उन्होने बताया कि देव यात्रा के दौरान जगह-जगह गांव में देवता जुन्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जन सैलाब उमड़ रहा है। दुर्गा सिंह ठाकुर ने बताया कि परंपरा के अनुसार देवता जुन्गा की यात्रा कालांतर से चार साल बाद निकाली जाती है, परंतु इस बार मंदिर के जीर्णोंद्धार और क्योंथल रियासत के तत्कालीन राजा वीर विक्रम सेन की मृत्यु के शोक के कारण यह देवयात्रा सात वर्ष उपरांत निकाली गई है।
इस यात्रा का आरंभ होने से पहले तत्कालीन क्योंथल रियासत के वर्तमान राजा खुश विक्रम सेन और राजमाता विजय ज्योति सेन से आज्ञा ली गई है। उन्होने बताया कि इस देव यात्रा के सफल आयोजन के लिए देवता के ज्येष्ठ कल्याण परिहार वंशज सहित अन्य कल्याणों की अनुशंसा व सहयोग लिया गया है।
उन्होने बताया कि यात्रा के दौरान करीब 27 स्थानों पर देव पूजा का प्रावधान किया गया है, जिसमें लोग अपनी मनौती को पूरा करने के लिए देवता को अपने घर पर आमंत्रित करते हैं जिनमें कुछ लोगों द्वारा पजावज, होम, बरमुझ, जागरे इत्यादि कराए जाएंगे। उन्होने बताया कि इस देव यात्रा का उद्देश्य शिमला और सोलन में बसे देवता जुन्गा के कल्याणों को उनके घर द्वारा पर जाकर दर्शन और देव कार्य निपटाना है। उन्होंने बताया कि यह यात्रा मार्च माह के अंत तक संपन्न होने की संभावना है।