चंबा, 13 जनवरी : शरीर दान (body donation) करना इंसान के लिए सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है। ऐसे ही पुण्य की भागीदार बनी है हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के चंबा जिला की एक मासूम बेटी साक्षी ठाकुर। मासूम बच्ची साक्षी खुद तो संसार छोड़कर चली गई, लेकिन जाते-जाते दो ऐसे लोगों को नवजीवन (new life) दे गई जो जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे।
2 जनवरी को 4 साल की बच्ची साक्षी ठाकुर ऊंचाई से गिरने पर बेहोश हो गई थी। इसके बाद इमरजेंसी (emergency) में बच्ची को चंबा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवाया गया। गंभीर हालत को देखते हुए यहां से डॉक्टर ने उसे टांडा रैफर कर दिया। 3 जनवरी को साक्षी को पीजीआई (pgi chandigarh) रैफर किया गया। साक्षी की हालत दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही थी। काफी दिन उपचार के बाद भी बच्ची की हालत में कोई सुधार नहीं आया। 9 जनवरी को डॉक्टर ने बेटी को ब्रेन डेड (brain dead) घोषित कर दिया।
इसके बाद साक्षी के पिता धर्मेश कुमार ने धैर्य दिखाते हुए एक ऐसा निर्णय लिया जो एक पिता के लिए कभी भी आसान नहीं होता। पिता ने ब्रेन डेड 4 साल की बेटी के अंगदान करने का फैसला लिया। दो ऐसे लोगों को पिता के इस फैसले से नवजीवन मिल गया जो लंबे समय से जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे थे। इन मरीजों के गुर्दों ने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन 4 साल की मासूम उनके जीवन में जीने के आशा की एक किरण लेकर आई।
पिता के साहसिक फैसले की हर कोई सराहना कर रहा है। पिता ने जो फैसला लिया वो कोई आसान नहीं था। लेकिन दूसरी और जब पिता ने यह देख लिया होगा कि दो लोगों को नया जीवन मिल गया है, तो उन्होंने भी अपने दिल को दिलासा दे दिया होगा।