मंडी, 17 दिसंबर : सेवानिवृत इंजीनियर को प्रधान पद देना कुछ लोगों को रास नहीं आया और उन्होंने इसका विरोध जता दिया। विरोध धीरे-धीरे हंगामे की शक्त में तबदील हो गया और अंत में चुनाव ही स्थगित करवाने पड़े। यह हंगामा आज मंडी स्थित भीमाकाली मंदिर परिसर में विद्युत बोर्ड पेंशनर फोरम की ओर से राष्ट्रीय पेंशनर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला। यह सारा कार्यक्रम राजनीति के अखाड़े में तब्दील हो गया। यहां चुनाव को लेकर बिजली बोर्ड के पेंशनर अलग-अलग धड़ों में बंटकर आमने-सामने हो गए।
दरअसल पेंशनर फोरम का प्रधान पद किसी इंजीनियर रैंक के व्यक्ति को देने की बात कही जाने लगी और यह बात कुछ लोगों को रास नहीं आई। भड़के पेंशनर मंच पर चढ़कर एक-दूसरे को तर्क देने लग पड़े और अफरा-तफरी मच गई। पेंशनर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में चुनाव को लेकर एजेंडा रखने को लेकर पेंशनरों ने रोष जताया। माहौल गरमाने के बाद चुनाव स्थगित करने पड़े। इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से आए फोरम के सदस्यों ने मंडी में अपनी हाजिरी भरी। कार्यक्रम का पहला एजेंडा ही चुनाव का रखा गया। यहां पैनल घोषित होने के साथ ही विरोध शुरू हो गया और जमकर नारेबाजी हुई। मंच पर माइक छीना झपटी तक हो गई।
एचपीएसईबी इम्पाइज यूनियन के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व फोरम सदस्य कुलदीप सिंह खरबाड़ा ने कहा कि पेंशनर दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में चुनाव पर चर्चा ही सही नहीं थी। यहां एक पैनल पर कुछ लोग मुहर लगवाना चाहते थे। लोकतंत्र में समर्थन व विरोध होता है और सदन बहुमत के साथ चलता है। पेंशनर फोरम के चुनाव पिछली कमेटी को भंग किए हुए नहीं हो सकते हैं। कमेटी को भंग किए बगैर असंवैधानिक तरीके से चुनाव करवाए जा रहे थे।
लोकतांत्रिक तरीके से चुना हुआ ही व्यक्ति ही संस्था का प्रधान हो सकता है। चुनाव को किसी और दिन रखें और बाकायदा इसकी अधिसूचना जारी करें। प्रधान का पद किसी रैंक विशेष के लिए रखा जाना तर्कसंगत नहीं है। किसी बात का विरोध करने पर शरारती तत्व व हुड़ंदंगी बोला जाना संकीर्ण मानसिकता की सोच को दर्शाता है। आज पेंशनरों की ढेरों समस्याएँ हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए। वहीं, हंगामे को लेकर पूछने पर फोरम के महासचिव चंद्र सिंह मंडयाल ने बताया कि छोटी मोटी बातें होती रहती हैं।