शिमला, 16 दिसंबर : राजधानी शिमला में संजौली बाईपास (Sanjauli Byepass) पर करीब 16 करोड़ की लागत से बनाया गया नया हेलीपोर्ट (Heliport) अभी फंक्शनल हुआ नहीं है और राज्य सरकार एक और हेलीपोर्ट शिमला में बनाने जा रही है। पर्यटन विभाग (Tourism Department) के प्रधान सचिव देवेश कुमार ने डीसी शिमला (DC Shimla) को हेलीपोर्ट बनाने के लिए जमीन तलाश करने को कहा है। शर्त यह है कि यह जमीन लो एल्टीट्यूड यानी कम ऊंचाई पर स्थित होनी चाहिए।
जिला प्रशासन अब शिमला शहर के आसपास नई जमीन ढूंढ रहा है। हालांकि जितनी नजदीक संजौली बाईपास का नया हेलीपोर्ट था, उतनी नजदीक अब जमीन नहीं मिल पाएगी और यदि दूर ही हेलीपोर्ट बनाना है तो फिर जुबड़हट्टी एयरपोर्ट (Jubarhatti Airport) का विकल्प पहले से मौजूद था। ऐसे में नया हेलीपोर्ट बनाने का कॉन्सेप्ट आसानी से समझ भी नहीं आ रहा।
दरअसल, इसी महीने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की मंडे मीटिंग में यह मसला उठा था और वहीं से डीसी शिमला को जमीन तलाश करने के निर्देश हुए। इसलिए अभी तक यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि संजौली हेलीपोर्ट में कोई तकनीकी मामला है या फिर इस हेलीपोर्ट की क्लीयरेंस नहीं हो पा रही।
केंद्र की टीम कर चुकी है विजिट… इस हेलीपोर्ट की केंद्र की डीजीसीए (DGCA) की टीम भी विजिट कर चुकी है। शिमला का संजौली हेलीपोर्ट करीब 15.55 करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुआ है। टूरिज्म ने भी भारत सरकार के साथ इस पर पैसा लगाया है। यहां पर यात्रियों की सुविधा के लिए विश्राम गृह, कैफेटेरिया आदि कई तरह की सुविधाएं दी गई हैं। लेकिन इस्तेमाल में न लाए जाने के कारण इसका लाभ लोग को नहीं मिल पा रहा है।
डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने इसे शुरू करने की परमिशन देने से पहले यहां कुछ तकनीकी पदों को भरने को कहा था। राज्य सरकार ने इन पदों के लिए पवन हंस लिमिटेड से लोग आउटसोर्स पर लेने का फैसला ले लिया था, लेकिन इसके बाद आगे अनुमति नहीं मिल पाई। इसलिए उड़ान स्कीम के तहत शिमला के लिए चल रही हेलीकाप्टर सेवाएं भी अभी जुबड़हट्टी एयरपोर्ट से ऑपरेट हो रही हैं।