नाहन, 06 दिसंबर : राजस्थान के विधानसभा चुनाव निपट चुके है। कौन बनेगा, मुख्यमंत्री इस बात पर नजरे टिकी हुई है। हॉट सीट को लेकर योगी बाबा बालक नाथ व दीया कुमारी (#YogiBabaBalakNathandDiyaKumari) भी चर्चा में है। रोचक बात यह है कि दीया कुमारी का ही नहीं, बल्कि योगी बाबा बालक नाथ का भी हिमाचल प्रदेश के नाहन से गहरा ताल्लुक सामने आया है।
जयपुर (Jaipur) की राजकुमारी दीया कुमारी (Princess Diya Kumari) करीब एक साल पहले हिमाचल के विधानसभा चुनाव में नाहन आई थी, जबकि योगी बाबा बालक नाथ करीब दस महीने वाले प्राचीन काली स्थान मंदिर (Ancient Kalisthan Temple) में योगी किशोरी नाथ जी को 11वें राजगुरु (Rajguru) की गद्दी (cushion) सौंपने के अनुष्ठान (ritual) में पहुंचे थे।
खास बात यह भी है कि सिरमौर के राजपरिवार (The royal family of Sirmaur) ने ही “नाथ समुदाय” को राजगुरु के तौर पर स्वीकार किया था। चूंकि, राजकुमारी दीया कुमारी के ननिहाल ने “नाथ समुदाय” को राजगुरु माना था, लिहाजा दीया कुमारी व योगी बाबा बालक नाथ का गुरु व शिष्या का रिश्ता भी जुड़ता है।
राजपरिवार के सदस्य व इतिहासकार कंवर अजय बहादुर सिंह ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि 8वीं शताब्दी से सिरमौर रियासत के राजगुरु की उपाधि ‘नाथ’ समुदाय को मिली हुई है। अबोहर गद्दी से राज गुरु मिलता है। हाल ही में भी 11वें राजगुरु को गद्दी सौंपी गई थी। जहां तक योगी बाबा बालक नाथ जी का प्रश्न है तो वो अबोहर का मुखिया होने के नाते राजगुरु के गुरु हैं।
उन्होंने कहा कि हाल ही के धार्मिक अनुष्ठान में योगी बाबा बालक नाथ भी काली स्थान मंदिर परिसर में आए थे। उनकी मौजूदगी में ही काली स्थान मंदिर के महंत को गद्दी सौंपने की रिवायत को निभाया गया था। एक सवाल के जवाब में कंवर अजय बहादुर सिंह ने कहा कि ये भी सही है कि अंतिम शासक की नातिन दीया कुमारी के ननिहाल के योगी बाबा बालक नाथ राजगुरु के गुरु (परम गुरु) हैं।
17 मई 2023 को हिमाचल प्रदेश के नाहन स्थित प्राचीन काली स्थान मंदिर में संत समाज का सैलाब उमड़ पड़ा था। इस मौके पर योगी किशोरी नाथ जी को 11वें राजगुरु की गद्दी सौंपी गई। कोविड काल के दौरान महंत राजगुरु योगी कृष्ण नाथ जी महाराज ब्रह्मलीन हो गए थे। 10वें राजगुरु की समाधि मंदिर प्रांगण में ही बनाई गई थी।
बता दें मंदिर के राजगुरुओं की समाधि परिसर में ही बनाई जाती है। ये परंपरा रियासत काल से जारी है। मंदिर में ‘‘नाथ बाबा’’ को ही गद्दी सौंपने की परंपरा है। धार्मिक अनुष्ठान में ब्रह्मलीन महंत राजगुरु योगी कृष्ण नाथ जी महाराज की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, शंखा ढाल भी की गई। इस दौरान अलवर से सांसद पीर योगी बाबा बालक नाथ जी महाराज भी पहुंचे थे, लिहाजा उनका नाहन से गहरा रिश्ता साफ़ है।
1621 में बसे शहर में काली के मंदिर का निर्माण 1830 (विक्रमी सम्वत् 1887) में राजा विजय प्रकाश ने करवाया था। मंदिर की मूर्ति को कुमाऊं वाली रानी साहिबा ही कुमाऊं से लेकर आई थी। इसके बाद ही राजा विजय प्रकाश ने मंदिर के निर्माण का फैसला लिया था। मंदिर में पूजा के लिए नाथ समाज के जोगी नाथ महंत को गद्दी सौंपी गई थी।
मंदिर परिसर में ही 24 भुजा देवी मंदिर का निर्माण राजा फतेह प्रकाश ने करवाया था। मंदिर के पहले महंत बाबा भृडंग नाथ कनफटा योगी थे। इसके बाद आम नाथ, फिर तोप नाथ महंत बने। इसके बाद ज्वाला नाथ व वीरनाथ ने भी गद्दी को संभाला। शहर के पहले महंत का दर्जा बाबा बनवारी दास जी को प्राप्त है।
राजपरिवार के सदस्य व इतिहासकार कंवर अजय बहादुर सिंह ने एमबीएम न्यूज नेटवर्क से बातचीत में कहा कि 8वीं शताब्दी से सिरमौर रियासत के राजगुरु की उपाधि ‘नाथ’ समुदाय को मिली हुई है। अबोहर गद्दी से राजगुरु मिलता है। हाल ही में भी 11वें राजगुरु को गद्दी सौंपी गई थी। जहां तक योगी बाबा बालक नाथ का प्रश्न है तो वो राजगुरु के गुरु हैं।
हाल ही के धार्मिक अनुष्ठान में योगी बाबा बालक नाथ भी कालीस्थान मंदिर परिसर में आए थे। उनकी मौजूदगी में कालीस्थान मंदिर के महंत को गद्दी सौंपने की रिवायत को निभाया गया था। एक सवाल के जवाब में कंवर अजय बहादुर सिंह ने कहा कि ये भी सही है कि अंतिम शासक की नातिन दीया कुमारी के ननिहाल के योगी बाबा बालक नाथ राजगुरु के गुरु हैं।