जयपुर/ नाहन : राजस्थान विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। सिरमौर के अंतिम शासक की नातिन ( granddaughter) व राजवंश के मुखिया लक्ष्य राज प्रकाश की मां दीया कुमारी (Diya Kumari) ने प्रचंड मतों के अंतर से चुनाव जीत लिया है। राजस्थान के जयपुर राजघराने (Jaipur Royal Family) की राजमाता पद्मिनी देवी (Padmini Devi) का मायका नाहन में है। 1934 में सिरमौर रियासत के अंतिम शासक का राजतिलक (Coronation) हुआ था।
1964 दीया कुमारी के नाना व अंतिम शासक का देहांत हुआ था, चूंकि अंतिम शासक का बेटा नहीं था, लिहाजा राजपुरोहितों ने ही महाराजा के अंतिम संस्कार की रस्मों को पूरा किया, साथ ही अस्थियों का विसर्जन किया था। विधानसभा चुनाव में जीत के अंतर मामले में दीया कुमारी ने वसुंधरा राजे (#VasundharaRaje) को भी पीछे छोड़ दिया है। दीया कुमारी ने जहां 71368 वोटों के अंतर से जीत हासिल की है, वहीं वसुंधरा राजे का जीत का अंतर 53,193 वोट रहा है।
सिरमौर के शाही महल (Royal Palace of Sirmaur) की दोहती दीया कुमारी ने राज्य स्थान की विद्याधर नगर सीट पर कांग्रेस (Congress) के सीताराम अग्रवाल को 71,368 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। राजस्थान चुनाव में सबसे बड़ी जीत दीया कुमारी की आंकी गई है। विद्याधर नगर सीट पर दीया कुमारी को 158516 वोट हासिल हुए। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी ने 87,148 वोट प्राप्त किए।
बता दें कि भाजपा (BJP) ने पूर्व उपराष्ट्रपति भैरव शेखावत के दामाद व सीटिंग विधायक (Seating MLA) नरपत सिंह का टिकट काटकर दीया कुमारी को दिया था। कयास ये भी है कि भाजपा में दीया कुमारी को वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर भी देखा जाता है।
चुनावी नतीजों के साथ ही ये सवाल भी उठने शुरू हो चुके हैं कि राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी किसे मिलेगी। खास बात ये भी है कि विधानसभा की हॉट सीट को दौड़ में विद्याधर नगर विधानसभा सीट से चुनाव जीती दीया कुमारी भी शामिल नजर आ रही है। मीडिया के सवाल पर दीया कुमारी ने कुछ साफ़ नहीं किया। गौरतलब है कि भाजपा ने इस बार राजस्थान में सीएम कैंडिडेट की घोषणा नहीं की थी। 30 जनवरी 1971 को जन्मी दीया कुमारी ने 2013 में भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। एक बार विधायक बनी, मौजूदा में सांसद हैं।
सिरमौर रियासत (Sirmaur, an erstwhile princely state) का कोई उत्तराधिकारी नहीं हुआ। भारत सरकार ने साल 1971 में महाराज की उपाधि समाप्त कर दी थी। अंतिम शासक की पुत्री पद्मिनी देवी का विवाह जयपुर राजघराने (Royal Family Jaipur) में महाराजा भवानी सिंह (Maharaja Bhawani Singh) से हुआ। पद्मिनी देवी की इकलौती संतान दिया कुमारी के बड़े बेटे पद्मनाभ सिंह (Padmanabh Singh) को जयपुर का उत्तराधिकारी ( Successor) घोषित किया गया। जबकि छोटे बेटे लक्ष्य प्रकाश को सिरमौर रियासत का उत्तराधिकारी बनाया गया।
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करीब 11 साल पहले सिरमौर के शाही महल में उस समय राजघरानो की परंपरा को 79 साल बाद उस समय दोहराया गया, जब दीया कुमारी के छोटे बेटे लक्ष्य राज को गोत्र बदलने के बाद राजवंश का उत्तराधिकारी बनाया गया। अपरोक्ष कहे तो सिरमौर रियासत का “राजा” बनाया गया। करीब तीन पहले नानी पद्मिनी देवी के साथ लक्ष्यराज नाहन के शाही महल पहुंचा था। मंगल तिलक के समय लक्ष्यराज की उम्र 9 साल की थी।
ऐसी थी सिरमौर रियासत…
सिरमौर रियासत 18वीं सदी तक पूर्व में टिहरी गढ़वाल, उत्तर में रामपुर बुशहर, दक्षिण में अंबाला व पश्चिम में पटियाला तक फैली हुई थी। देश के विभाजन के समय सिरमौर रियासत का क्षेत्रफल काफी कम हो गया था। देहरादून, हरियाणा के बराड़ा, रामगढ़ व व जुब्बल तक भी सीमाएं फैली हुई थी।
राजस्थान से नाता….
इतिहास पर नजर डाली जाए तो राजवंश की नींव जैसलमेर से पड़ी। राजा मदन सिंह के शासन के दौरान रियासत गर्क हो गई थी। इसके बाद जैसलमेर के शासक के बेटे शोबा रावल ने सिरमौर की गद्दी संभाली थी। इनके वंश को लेकर दो मत हैं। पहले के मुताबिक 1095 में सुभंश प्रकाश ने सिरमौर की राजगद्दी संभाली।
दूसरा मत है कि उन्होंने 1195 में गद्दी संभाली। उसके बाद प्रकाश वंश के इन राजाओं ने उन्नीसवीं सदी तक सिरमौर रियासत पर राज किया। अंतिम शासकों में महाराजा शमशेर प्रकाश, महाराजा सुरेंद्र विक्रम प्रकाश, कर्म प्रकाश थे।