शिमला, 23 नवंबर : मौजूदा समय में धनाढ्य वर्ग ‘सैकेंड हाउस’ की लालसा पाले होता है, ताकि दूसरे घर में छुट्टियां मनाने जा सके। वहीं खूबसूरत परिंदों को कुदरत ने ही दूसरा घर बख्शा है। हालांकि, हिमाचल प्रदेश के पौंग जलाशय में विदेशी परिंदों की चहलकदमी हर किसी को बरबस ही अपनी तरफ आकर्षित कर रही है, लेकिन इन मेहमानों में तीन खास हो गए हैं। यकीन मानिए, इनमें से दो तो करीब 8 हजार किलोमीटर दूर साइबेरिया का सफर तय कर सेकंड हाउस में लौट आए हैं।
दरअसल, जनवरी 2023 में बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (Bombay Natural History Society) द्वारा करीब डेढ़ सौ पक्षियों की टैगिंग की गई थी, ताकि ये पता लगाया जा सके कि ये वापस आते हैं या नहीं। रोमांचित खबर ये है कि टैग A-58 व N-00 वापस लौटे हैं। ये पक्षी टैग पहनकर ही साइबेरिया चले गए थे।
एमबीएम न्यूज नेटवर्क को मिली जानकारी के मुताबिक बार हेडेड गूज (bar headed goose) प्रजाति के इन पक्षियों को 2 जनवरी व 3 मार्च 2023 को क्रमशः नंदपुर व नगरोटा सूरियां में टैग पहनाए गए थे। इसके अलावा एक अन्य पक्षी J-17 को जनवरी 2016 में टैग लगाया गया था। ये पक्षी 2020 में भी पौंग बांध जलाशय (Pong Dam Reservoir) में साइट हुआ था, लेकिन अब तीन साल बाद ये वापस पुराने घर में पहुंचा है।
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आपको बता दें कि पक्षियों को टैग लगाने का मकसद यही होता है कि आने वाले समय में ये पता लगाया जा सकता है कि पक्षी दोबारा आ रहे हैं या नहीं। पक्षियों का दोबारा लौटना वन्य प्राणी विभाग (wildlife department) के लिए एक अच्छा संकेत है।
पौंग जलाशय में पहुंचे इन तीन पक्षियों की तस्वीरें 21 नवंबर 2023 को अंकुश धीमान द्वारा कैमरे में कैद की गई। बताते चलें कि अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में प्रवासी पक्षियों का विश्व प्रसिद्ध वेटलैंड साइट पौंग बांध जलाशय में आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। संभव है, कई अन्य परिंदें भी दोबारा लौटे होंगे। फिलहाल विभाग तीन परिंदोंके आने की पुष्टि कर रहा है।
विभाग द्वारा प्रवासी परिंदों पर रिंगिंग व फोटोग्राफी (ringing and photography) के जरिए नजर रखने की कोशिश की जाती है। साइबेरियन बर्ड (siberian bird) अपनी स्मरण शक्ति के लिए भी पहचान रखते हैं। बिना भूले व भटके ही हजारों किलोमीटर का सफर तय करते हैं। ऐसी भी धारणा है कि मादा परिंदे के गर्भ में ही पक्षी आने-जाने के रूट को जान जाता है।
ऐसा भी बताया जाता है कि भारत में तीन रास्तों से विदेशी मेहमान पहुंचते हैं। अफगानिस्तान व पाकिस्तान की सरहदों से गुजरात की तरफ जाते हैं, जबकि हिमालय पर्वत (himalayan mountains) को पार करते हुए उत्तर भारत के हिमाचल व उत्तराखंड में पहुंचते हैं। तीसरा उत्तर-पूर्व का रास्ता है।
खैर, हर बरस ये परिंदें धरती के वासियों को ये याद दिलाते हैं कि उनके लिए कोई सरहद नहीं है। क्यों न धरती वासी भी सरहदों की बंदिशों को तोड़ कुदरत का आनंद उठाएं।