नाहन, 09 नवंबर : सामान्य तौर पर समुद्र की लहरों के तट पर “गोवा” में पश्चिमी संस्कृति (Western culture) या फिर भड़कीले फिल्मी गीतों पर जश्न होता नजर आता है। लेकिन, नेशनल गेम्स (National Games) में गोल्ड मैडल जीतकर “हिमाचली बालाओ” ने न केवल राज्य को गौरवान्वित किया, बल्कि अपने राज्य की लोक संस्कृति की एम्बेसडर (Ambassador) भी बन गई। हिमाचल की नाटी ने कबड्डी के मैदान में ऐसा समां बांधा कि हर किसी के पांव थिरकने लगे। इससे जुड़ा वीडियो (Video) खासा वायरल हो रहा है।

बहरहाल, एक बच्चा जब जीवन में मुकाम हासिल कर लें तो वो न केवल निजी तौर पर सफलता हासिल करता है, बल्कि अपने इलाके खासकर गांव के अलावा कस्बे और शहर के लिए भी ब्रांड एंबेसडर (Brand Ambassador) बन जाता है। सिरमौर की बात की जाए, तो इसका उदाहरण द ग्रेट खली (The Great Khali) भी है। खली से अंतरराष्ट्रीय स्तर (International Level) न केवल सिरमौर बल्कि हिमाचल को गौरवान्वित किया। एक समय था जब देश के नामी न्यूज़ चैनल्स (News Channels) ने सिरमौर की टूटी फूटी सड़को को भी नाप डाला था।
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सिरमौर जिला के गिरिपार की बेटी पुष्पा राणा ने नेतृत्व में राज्य की बेटियों ने भी कुछ खास कर दिखाया है। पुष्पा राणा की बदौलत नेशनल गेम्स में हिमाचल की टीम ने स्वर्ण पदक हासिल किया। ये पल हर हिमाचली को गौरवान्वित कर देने वाले थे। गोवा जो एक पश्चिमी संस्कृति को लेकर जाना जाता है, लेकिन वहां हिमाचली बालाओं ने गोल्ड मैडल (Gold Medal) जीतने की ख़ुशी में कबड्डी मेट (Kabaddi Mat) पर नाटी डाली। उद्घोषक ने भी बार -बार हिमाचल की संस्कृति का जिक्र किया। गोवा की धरती पर न केवल हिमाचल की लोक संस्कृति (folk culture) को बढ़ावा मिला, बल्कि बेटियों ने भी ये साबित कर दिया कि वो जमीन से जुड़ी हुई है, उनके लिए संस्कृति सर्वोपरि है।
अमूमन ऐसे मौके पर फिल्मी गीतों का चलन देखा जाता है, लेकिन हिमाचल की बेटियों ने पहाड़ी नाटी डालकर एक अलग ही संदेश दिया है कि आप जीवन में किसी भी मुकाम पर पहुंच जाओ, लेकिन अपनी संस्कृति से जुड़ा रहना चाहिए।