चंबा,25 अक्तूबर : चंबा विकासखंड के ग्राम पंचायत भनोता के गांव ठुकरला के संजीव कुमार बेमौसमी सब्जियों का उत्पादन कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ करने के साथ-साथ लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बने हैं। संजीव कुमार माह अगस्त और सितंबर में तीन बीघा भूमि पर बेमौसमी सब्जी मटर, फ़्रांसबीन, गोभी, मूली,बेंगन, ब्रोकली ,पालक की फसल तैयार कर बाजार में अच्छी कीमत पर सब्जियां बेच रहे हैं। इस कार्य में उनके साथ चार से पांच किसान ओर भी जुड़े हैं। भनौता के किसान संजीव कुमार का कहना है कि किसान कृषि विभाग से बहुमूल्य जानकारी हासिल कर लाभ ले सकते हैं। बेशर्त जी-जान तोड़ मेहनत करें तो अपनी आर्थिकी को मजबूत कर सकते हैं।
संजीव कुमार ने बताया कि बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन के लिए मुझे कृषि विभाग चंबा द्वारा प्रेरित किया गया। विभाग के सहयोग एवं परामर्श से सभी प्राकृतिक संसाधनों के प्रयोग से यहां बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन में बेहतरीन कार्य हुआ है। मुझे बेमौसमी सब्जियों के उन्नत किस्म के बीज भी कृषि विभाग द्वारा मुहैया करवाए गए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवा नौकरी की तलाश में संघर्ष कर रहे हैं उससे बेहतर यह रहेगा कि बेरोजगार युवा भी अपनी भूमि पर बेमौसमी सब्जियां उगा कर रोजगार का साधन अपना सकते है।
उन्होंने बताया कि चंबा कृषि विभाग द्वारा मुझे 50 प्रतिशत अनुदान राशि पर ट्रैक्टर मुहैया करवाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि सिंचाई सुविधा न होने के कारण भूसंरक्षण विभाग द्वारा पानी के टैंक के निर्माण के लिए 36 हजार की राशि उपलब्ध कराई गई। साथ में पावर ड्रिप उन्हें 80 प्रतिशत अनुदान राशि पर उपलब्ध हुआ जिससे वह आसानी से अपने खेतों की सिंचाई कर रहे हैं।
संजीव कुमार बताते हैं कि बेमौसमी सब्जियों के उत्पादन मटर, फ़्रांसबीन, गोभी, मूली ,बेंगन, ब्रोकली ,पालक की फसल तैयार कर बिक्री कर रहे हैं। देश व प्रदेश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले बेमौसमी होने के कारण, व्यापारी किसानों से खेतों में ही अच्छे दामों में खरीद रहें हैं। इन बेमौसमी सब्जियों से लगभग 4 से 5 लाख वार्षिक आय हो रही है। इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग तथा हिमाचल प्रदेश सरकार का धन्यवाद किया और कहा कि सरकार किसानों के लिए और भी सुविधा सुविधाऐं व योजनाएं तथा उन्नत तकनीक लेकर आएं जिससे किसान और अधिक समृद्धशाली हो सके।
उपनिदेशक कृषि विभाग ने डॉ कुलदीप धीमान ने कहा कि जिला चंबा की विविध जलवायु होने के कारण यहाँ वे मौसमी सब्जियों के उत्पादन की अधिक संभावनाएं मौजूद हैं। जिला के किसानों की सिंचाई की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से शत प्रतिशत अनुदान पर दूर दराज नालों से पानी को सिंचाई कूहल के माध्यम से किसानों के खेतों तक पहुँचाया गया I पानी को एकत्रित करने के लिए किसानों के खेतों में जल भण्डारण टैंक बनाए गए तथा किसानों के खेतों में 80 प्रतिशत अनुदान पर सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियाँ स्थापित की गई है। पिछले कुछ वर्षों में लगभग 2000 हेक्टेयर क्षेत्र पर सूक्ष्म सिंचाई सुविधाएं स्थापित की गई हैI उन्होंने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई सुविधाएं स्थापित करने के लिए पिछले दो वर्षों में नीति आयोग से कृषि विभाग को लगभग 150 लाख की धनराशि भी प्राप्त हुई है I जिन्हें कृषि आधारित विभिन्न गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए व्यय किया जा रहा है।
भू-संरक्षण अधिकारी चंबा डॉ संजीव कुमार मन्हास ने कहा कि फव्वारा सिंचाई प्रणाली स्थापित करने के बाद पानी की बचत होती है इसलिए कम पानी से अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की जा रही है I दूसरा सिंचाई करने में समय की बचत होती है और सही मात्रा में फसल को पानी मिलाने से पैदावार में बढ़ोतरी हो रही है।
उन्होंने बताया कि जिला चंबा का भौगोलिक क्षेत्रफल लगभग 692 हज़ार हैक्टेयर है, जिसमे से केवल 41.80 हज़ार हैक्टेयर भूमि पर मक्की, धान व गेहूं अनाज की फसलों की खेती की जा रही है। लेकिन अब यहां के किसानों का भी नगदी बे मौसमी सब्जियों की और उनका रुझान बढ़ रहा है और लगभग 2200 हैक्टेयर क्षेत्रफल में सब्जी उत्पादन किया जा रहा है। इससे किसानों की आर्थिकी मजबूत हो रही है।